धर्म-अध्यात्म

कार्तिक पूर्णिमा में करें ये आसान उपाय, घर में आएगा सुख और सौभाग्य

Subhi
15 Nov 2021 3:25 AM GMT
कार्तिक पूर्णिमा में करें ये आसान उपाय, घर में आएगा सुख और सौभाग्य
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हिदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का स्थान सभी पूर्णिमाओं में विशेष है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन जहां एक ओर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध कर, देवताओं को उनका स्वर्ग पुनः प्रदान किया था।

हिदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का स्थान सभी पूर्णिमाओं में विशेष है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन जहां एक ओर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध कर, देवताओं को उनका स्वर्ग पुनः प्रदान किया था। वही दूसरी और इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार ले कर प्रलय काल में धरती पर जीवन का रक्षा की थी। इसलिए इस दिन देव दीपावली मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता स्वयं वाराणसी के धाटों पर आकर दीपावली मनाते हैं। इस साल कार्तिक पूर्णिमा का व्रत और पूजन 19 नवंबर, दिन शुक्रवार को किया जाएगा। इस दिन को कार्तिक माह में बहुत शुभ माना जाता है।कार्तिक पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष उपाय करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

1-कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा-यमुना में कुशा स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन हाथ में कुशा लेकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए तथा स्नान के बाद दान जरूर करें। ऐसा करने से सभी तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है और घर में सौभाग्य का आगमन होता है।
2- कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर के मुख्यद्वार पर हल्दी मिश्रित जल को डाल कर हल्दी से स्वास्तिक बनाए और द्वार पर आम के पत्तों का तोरण बाधना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी घर में प्रवेश करती हैं और धन-धान्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
3- कार्तिक पूर्णिमा के दिन गांगा जी के घाट पर दीप जलाने और नदी में दीपदान करने का विधान है। ऐसा करने से सभी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और घर में सौभाग्य का आगमन होगा।
4- तुलसी को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है, कार्तिक माह में तुलसी जी का पूजन किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी के समीप दीप जला कर, उनके जड़ की मिट्टी का तिलक लगाना चाहिए। ऐसा करने से हर कार्य में सफलता मिलती है।
5- कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरारी शिव का पूजन किया जाता है। इस दिन शिव लिंग पर दूध, दही, धी,शहद और गंगा जल का पंचामृत चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकानाएं पूरी करते हैं।


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