धर्म-अध्यात्म

आज सफला एकादशी पर करें विष्णु जी की ये आरती, घर आएगी सुख और समृद्धि

Subhi
30 Dec 2021 3:48 AM GMT
आज सफला एकादशी पर करें विष्णु जी की ये आरती, घर आएगी सुख और समृद्धि
x
आज यानी 30 दिसंबर को सफला एकादशी है। यह हर वर्ष पौष माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन रात्रि जागरण करने से व्यक्ति को मरणोपरांत वैकुंठ धाम में स्थान मिलता है।

आज यानी 30 दिसंबर को सफला एकादशी है। यह हर वर्ष पौष माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन रात्रि जागरण करने से व्यक्ति को मरणोपरांत वैकुंठ धाम में स्थान मिलता है। कालांतर से ऋषि मुनियों ने एकादशी का व्रत कर मोक्ष की प्राप्ति की है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-उपासना की जाती है। वहीं, पूजा के अंत में आरती करने का विधान है। सनातन धर्म में पूजा का समापन आरती और शंखनाद से होता है। अत: सफला एकादशी पर सच्ची श्रद्धा से भगवान श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा और आरती करें। इस व्रत के कई कठोर नियम भी हैं। इन नियमों का पालन अनिवार्य है। अगर आप भी भगवान श्रीहरि विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं, तो सफला एकादशी पर विष्णु जी की यह आरती जरूर करें। इससे घर में सुख और समृद्धि का आगमन होगा। साथ ही सभी दुखों से छुटकारा मिलेगा।

भगवान विष्णु की आरती

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।

सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।

पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।

तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥

ओम जय जगदीश हरे...॥


Next Story