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धर्म-अध्यात्म
पितर पक्ष में पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए करे ये विशेष उपाय
Subhi
22 Sep 2021 3:22 AM GMT
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हिंदी पंचांग के अश्विन मास का कृष्ण पक्ष पितरों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित होता है। इस पक्ष को पितर पक्ष या पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है।
हिंदी पंचांग के अश्विन मास का कृष्ण पक्ष पितरों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित होता है। इस पक्ष को पितर पक्ष या पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है। इस साल पितर पक्ष की शुरूआत अश्विन प्रतिपदा तिथि 21 सितंबर से हो रही है, जो कि 06 अक्टूबर को अमावस्या तिथि तक रहेगा। पितर पक्ष में मृत पूर्वजों, पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध करने का विधान है। साथ ही ये समय कुण्डली में व्याप्त पितृ दोष को दूर करने के लिए भी सबसे उत्तम माना जाता है। आइए जानते हैं पितर पक्ष में पितृ दोष दूर करने के उपाय....
पितृ दोष से मुक्ति के उपाय:
1-पितृ पक्ष के प्रत्येक दिन हमें अपने पितरों के निमित्त जल, जौं और काले तिल समेत पुष्पों से तर्पण करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष दूर होता है।
2- श्राद्ध के दौरान हमें अपने पूर्वजों की पसंद का खाना उनकी मृत्यु की तिथि पर किसी ब्राह्मण को जरूर कराना चाहिए। ऐसा करने से पित्तरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
3- पितृ पक्ष में अपने पित्तरों के नाम से श्रीमद् भागवत कथा, गीता, गरूड़ पुराण, नारायण बली, त्रिपिंडी श्राद्ध या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों को शांति की प्राप्ति होती है तथा पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
4- पितर पक्ष में गया जाकर अपने पितरों का श्राद्ध या पिण्ड दान करने से पितृ शांत हो जाते हैं और पितृ दोष से मुक्ति भी मिलती है।
5- जिन लोगों को अपने पितरों की मृत्यु की तिथि अज्ञात हो, उन्हें सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ दोष से मु्क्ति मिलती है।
6- पितर पक्ष में पंच बली का विधान है, इस काल में गाय, कुत्ते, कौवे, देव और चींटी की सेवा करनी चाहिए तथा उन्हें भोग लगाना चाहिए।
7- मान्यता है कि पितर पक्ष में हमारे पितर कौवों के रूप में धरती पर आते हैं, इसलिए पितर पक्ष में श्राद्ध के दिन कौवों को भोजन जरूर करना चाहिए। कौवों की किया हुआ भोज हमारे पितरों तक पहुचंता है।
8- पितर पक्ष में पीपल या बरगद के पेड़ पर नियमित रूप से जल और काला तिल चढ़ाने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
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