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ज्योतिष न्यूज़: हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत त्यौहार आते हैं लेकिन काल भैरव जयंती बहुत ही खास मानी जाती है जो कि मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है इस बार यह पर्व आज अर्थात 5 दिसंबर दिन मंगलवार को मनाया जाता है जा रहा है
इस दिन भक्त भैरव बाबा को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा आराधना की जाती है और व्रत आदि भी होते हैं लेकिन इसी के साथ अगर आज के दिन भगवान की पूजा में उनकी प्रिय चालीसा का पाठ किया जाए तो वे शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और जीवन की सभी स्तोत्रों और अनिष्टों को दूर कर देते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भैरव बाबा की संपूर्ण चालीसा।
श्री भैरव चालीसा—
दोहा
श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित श्री मठ।
चालीसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ॥
श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल।
श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल॥
चालीसा
जय जय श्री काली के लाला। जयति जयति काशी-कुटवाला॥
जयति बटुक-भैरव भय हारी। जयति काल-भैरव बलकारी॥
जयति नाथ-भैरव माँ। जयति सर्व-भैरव सुखदाता॥
भैरव रूप कियो धारण शिव। भव के भार उद्भवन कारण॥
भैरव रव सुनि हवै भय दूर। सब विधि होय कामना पूर्ण॥
शेष महेश आदि गुण गायो। काशी-कोयलर कहलायो॥
जटा जूट श्री चन्द्र विराजत। बाला मुकुट बिजयथ साजत॥
कटि करधनी घुंघरू बाजत। दर्शन करत सकल भय भजत॥
जीवन दान दास को दिनह्यो। किन्ह्यो कृपा नाथ तब छीन्यो॥
वसि रसना बनि सारद-काली। दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली॥
धन्य धन्य भैरव भय भंजन। जय मनोरंजन खल दल भंजन॥
कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा। कृपा कटक्ष सुयश नहिं थोडा॥
जो भैरव निर्भय गुण गावत। अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत॥
रूप विशाल कठिन दुःख मोचन। क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन॥
अगणित भूत प्रेत संग डोलत। बम बम बम शिव बम बम बोलता है॥
रुद्रकाय काली के लाला। महा काल्हू के हो काला॥
बटुक नाथ हो काल गंभीरता। श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा॥
करत नीनहूं रूप प्रकाशा। भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा॥
रत्नजटित कंचनजंघान। व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुअनन्॥
तुमहि जाइ काशीहिं जन ध्यावहिं। विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं॥
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय। जय उन्नत हर उमा नन्द जय॥
भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय। वैजनाथ श्री जगतनाथ जय॥
महा भीम भीषण शरीर जय। रुद्र त्रयंबक धीर वीर जय॥
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय। स्वनारूढ़ सयचन्द्र नाथ जय॥
निमिष दिगम्बर चक्रनाथ जय। गहत अनाथन नाथ हाथ जय॥
त्रिलेश भूतेश चन्द्र जय। क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय॥
श्री वामन नकुलेश चंद जय। कृत्यौ कीरति प्रचण्ड जय॥
रुद्र बटुक क्रोधेश कलधर। चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर॥
करि मद पान शम्भु गुणगावत। चौंसठ योगिन संग नाचवत॥
करत कृपा जन पर बहुधा। काशी कोतवाल अदबंगा॥
दयं काल भैरव जब सोता। न साई पाप मोटे से मोटा॥
जानकर निर्मल होय शरीरा। मिटै सकल संकट भव पीरा॥
श्री भैरव भूतों के राजा। बाधा हरत करत शुभ काजा॥
ऐलादी के दुःख निवारयो। सदा कृपाकरि काज सम्हारयो॥
सुंदर दास अनुराग साथा। श्री दुर्वासा निकट प्रयागा॥
श्री भैरव जी की जय लेखो। सकल कामना पूरण देख्यो॥
दोहा
जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट तार।
कृपा दास पर किज शंकर के अवतार॥