धर्म-अध्यात्म

मनोवांछित कार्यों में सिद्धि के लिए आज करें ये उपाय

Tara Tandi
3 Jun 2023 7:35 AM GMT
मनोवांछित कार्यों में सिद्धि के लिए आज करें ये उपाय
x
हिंदू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी देवता को समर्पित होता हैं वही शनिवार का दिन कर्मों के दाता भगवान श्री शनिदेव की पूजा के लिए खास माना जाता हैं ऐसे में समर्पित दिन पर भक्त भगवान शनि की विधिवत पूजा करते हैं और उपवास भी रखते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होकर अपनी कृपा साधक पर करते हैं जिससे उनके जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।
अगर आप भी शनि महाराज का आशीर्वाद पाना चाहते हैं या फिर मनोवांछित कार्यों में सफलता चाहते हैं तो ऐसे में आप हर शनिवार के दिन शनि महाराज के मंदिर जाकर प्रभु की पूजा करे और श्री शनि कवच का पाठ पूरी निष्ठा से करें मान्यता है कि इस उपाय को करने से सभी कार्यों में सफलता हासिल होगी और काम में आने वाली बाधाएं भी दूर हो जाएगी तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री शनि कवच।
श्री शनि कवच—
ओं अस्य श्री शनैश्चर कवच स्तोत्रमहामन्त्रस्य काश्यप ऋषिः, अनुष्टुप्चन्दः, शनैश्चरो देवता, शं बीजं, वां शक्तिः यं कीलकं, मम शनैश्चरकृतपीडापरिहारार्थे जपे विनियोगः ॥
करन्यासः ॥
शां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः ।
शीं तर्जनीभ्यां नमः ।
शूं मध्यमाभ्यां नमः ।
शैं अनामिकाभ्य़ां नमः ।
शौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।
शः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ॥
अङ्गन्य़ासः ॥
शां हृदयाय नमः ।
शीं शिरसे स्वाहा ।
शूं शीखायै वषट् ।
शैं कवचाय़ हुं ।
शौं नेत्रत्रयाय वौषट् ।
शः अस्त्राय फट् ।
भूर्भुवस्सुवरोमिति दिग्बन्धः ॥
ध्यानम् ॥
चतुर्भुजं शनिं देवं चापतूणी कृपाणकं ।
वरदं भीमदम्ष्ट्रं च नीलाङ्गं वरभूषणं ।
नीलमाल्यानुलेपं च नीलरत्नैरलङ्कृतं ।
ज्वालोर्ध्व मकुटाभासं नीलगृध्र रथावहं ।
मेरुं प्रदक्षिणं कृत्वा सर्वलोकभयावहं ।
कृष्णाम्बरधरं देवं द्विभुजं गृध्रसंस्थितं ।
सर्वपीडाहारं नॄणां ध्यायेद्ग्रहगणोत्तमम् ॥
अथ कवचम् ॥
शनैश्चरः शिरो रक्षेत् मुखं भक्तार्तिनाशनः ।
कर्णौ कृष्णाम्बरः पातु नेत्रे सर्वभयङ्करः ।
कृष्णाङ्गो नासिकां रक्षेत् कर्णौ मे च शिखण्डिजः ।
भुजौ मे सुभुजः पातु हस्तौ नीलोत्पलप्रभः ।
पातु मे हृदयं कृष्णः कुक्षिं शुष्कोदरस्तथा ।
कटिं मे विकटः पातु ऊरू मे घोररूपवान् ।
जानुनी पातु दीर्घो मे जङ्घे मे मङ्गलप्रदः ।
गुल्फौ गुणाकरः पातु पादौ मे पङ्गुपादकः ।
सर्वाणि च ममाङ्गानि पातु भास्करनन्दनः ।
फलश्रुतिः ॥
य इदं कवचं दिव्यं सर्वपीडाहरं नृणां ।
पठति श्रद्दयाय़ुक्तः सर्वान् कामानवाप्नुयात् ॥
इति श्रीपद्म पुराणे शनैश्चर कवचम् ॥
Next Story