धर्म-अध्यात्म

तुलसी विवाह के दिन घर से दरिद्रता दूर करने के लिए कीजिए ये उपाए

Gulabi
14 Nov 2021 12:25 PM GMT
तुलसी विवाह के दिन घर से दरिद्रता दूर करने के लिए कीजिए ये उपाए
x
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत ही पवित्र माना जाता

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत ही पवित्र माना जाता है. कहा जाता है कि तुलसी के जड़ों के पास भगवान विष्णु (Lord Vishnu) खुद शालिग्राम के रूप में निवास करते हैं. मान्यता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है उस घर से नकारात्मकता दूर हो जाती है और घर में खुशियों का वास होता है. साथ ही उस घर में माता तुलसी जी की कृपा से धन (Money) की प्राप्ति होती है. कार्तिक माह की एकादशी तिथि को देवोत्थान एकादशी कहा जाता है. कहते हैं कि कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रीहरि चतुर्मास की निद्रा से जागते हैं, इसीलिए इस एकादशी को देवउठनी एकादशी भी कहते हैं. इस दिन से ही हिन्दू धर्म में शुभ कार्य जैसे विवाह और अन्य शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. देवउठनी एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु के स्वरूप शालीग्राम का देवी तुलसी से विवाह होने की परंपरा भी है. ऐसे में कल तुलसी विवाह है.

माना जाता है कि जो भक्त देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का अनुष्ठान करता है उसे कन्यादान के बराबर पुण्य मिलता है. मान्यता है कि घर में तुलसी का पौधा होने पर नियमित रूप से उसकी पूजा की जानी चाहिए. शाम को तुलसी के आगे दीपक जलाना चाहिए. इतना ही नहीं, कहते हैं कि घर में तुलसी का पौधा होने से दरिद्रता और दुर्भाग्य कभी नहीं आता. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नियमित रूप से तुलसी की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. कहते हैं घर में जहां तुलसी का पौधा लगा होता है, वहां त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और शंकर का निवास होता है. कहते हैं कि अगर तुलसी के पौधे को छूकर इस खास मंत्र का जाप किया जाए, तो आप मनचाहा फल पा सकते हैं. आइए जानते हैं तुलसी विवाह की पूजन विधि और पूजा करते वक्त कौन से तुलसी मंत्र का जाप करें.
तुलसी विवाह पूजा विधि
तुलसी विवाह के लिए तुलसी का पौधा एक चौकी पर आंगन के बीचो-बीच रखा जाता है. तुलसी जी के सामने मेहंदी, मौली धागा, फूल, चंदन, सिंदूर, सुहाग के सामान की चीजें, चावल और मिठाई, पूजन सामग्री के रूप में रखी जाती हैं. तुलसी विवाह करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है. कार्तिक मास में देवोत्थान एकादशी के दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है. तुलसी विवाह के लिए एक चौकी पर आसन बिछा कर तुलसी जी को और शालीग्राम की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए. चौकी के चारों और गन्ने का मंडप सजाएं और कलश की स्थापना करें. सबसे पहले कलश और गौरी गणेश का पूजन करना चाहिए.
इसके बाद माता तुलसी और भगवान शालीग्राम को धूप, दीप, वस्त्र, माला, फूल अर्पित करें. तुलसी जी को श्रृगांर के समान और लाल चुनरी चढ़ाई जाती है. ऐसा करने से सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है. इसके बाद तुलसी मंगाष्टक का पाठ करें. हाथ में आसन सहित शालीग्राम जी को लेकर तुलसी जी के सात फेरे लेने चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु और तुलसी जी की आरती का पाठ करना चाहिए. पूजन के बाद प्रसाद का वितरण करें.
तुलसी मंत्र
'महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते'
कहते हैं इस मंत्र का जाप नियमित रूप से तुलसी के पत्ते या पौधे को छूते हुए करना चाहिए. इससे व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं.
मंत्र का जाप करने से पहले रखें इन बातों का ध्यान
-कहते हैं कि तुलसी मंत्र का जाप करने से पहले अपने ईष्टदेव की पूजा जरूर करें. इसके बाद ही तुलसी मंत्र का जाप करना चाहिए.
-तुलसी मंत्र का जाप करने से पहले तुलसी को प्रणाम करें और पौधे में शुद्ध जल अर्पित करें.
-इसके बाद तुलसी जी का श्रृंगार करें. श्रृंगार में हल्दी और सिंदूर चढ़ाएं.
-इसके बाद तुलसी जी के आगे घी का दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं.
-फिर उनकी 7 बार परिक्रमा करें और ऊपर बताएं गए मंत्र का जाप करें.
-इसके बाद तुलसी जी को छूकर अपनी सभी मनोकामनाएं बोल दें.
Next Story