धर्म-अध्यात्म

आज देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए करें ये उपाए

Tara Tandi
29 Jun 2023 11:38 AM GMT
आज देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए करें ये उपाए
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हिंदू धर्म में एकादशी की तिथि बेहद ही खास मानी जाती हैं जो कि विष्णु पूजा को समर्पित होती हैं। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं माना जाता हैं कि ऐसा करने से विष्णु कृपा प्राप्त होती हैं अभी आषाढ़ का महीना चल रहा हैं और इस माह पड़ने वाली एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जा रहा हैं जो कि आज यानी 29 जून दिन गुरुवार को पड़ रही हैं इसी दिन से चातुर्मास का भी आरंभ हो रहा हैं माना जाता हैं कि देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं जिसके बाद से सभी शुभ और मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता हैं।
चातुर्मास में किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता हैं इस दौरान पूजा पाठ और मंत्रों का जाप उत्तम फल प्रदान करता हैं। इसके अलावा देवशयनी एकादशी का व्रत करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती हैं ऐसे में अगर आप आज उपवास रखकर भगवान विष्णु की पूजा कर रहे हैं तो पूजा के बाद देवशयनी एकादशी की आरती जरूर करें, तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं एकादशी की आरती।
देवशयनी एकादशी आरती-
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।
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