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धर्म-अध्यात्म
मंगलवार के दिन करें ये उपाय हनुमान जी होंगे प्रसन्न
Tara Tandi
30 April 2024 11:52 AM GMT
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ज्योतिष न्यूज़ : आठ चिरंजीवियों में भगवान हनुमान एक हैं। उनकी विशेष कृपा पाने के लिए हनुमान जन्मोत्सव का दिन बेहद खास है। इस दौरान भक्तों द्वारा की गई सच्चे मन से पूजा बेहद फलदायी होती है। हनुमान जी के विशेष दिन पर देश भर के मंदिरों में पूजा पाठ व भंडारों के आयोजन किए जाते हैं। साथ ही उनके जन्म से जुड़ी कथाओं का भी पाठ किया जाता है। यदि आप हनुमान जी के जन्म की कथा पढ़ना चाहतें हैं, तो यह लेख आपके लिए लाभदायक है। हम आपको बजरंगबली के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।
बजरंगबली के जन्म से जुड़ी कथा
धार्मिक कथा के अनुसार हनुमान जी भगवान शिव का 11वां रुद्र अवतार है। उनके जन्म को लेकर कहा जाता है कि, जब विष्णु जी ने धर्म की स्थापना के लिए इस धरती पर प्रभु श्री राम के रूप में जन्म लिया, तब भगवान शिव ने उनकी मदद के लिए हनुमान जी के रूप में अवतार लिया था। दूसरी ओर राजा केसरी अपनी पत्नी अंजना के साथ तपस्या कर रहे थे। इस तपस्या का दृश्य देख भगवान शिव प्रसन्न हो उठें और उन दोनों से मनचाहा वर मांगने को कहा।
शिव जी की बात से माता अंजना खुश हो गई और उनसे कहा कि मुझे एक ऐसा पुत्र प्राप्त हो, जो बल में रुद्र की तरह बलि, गति में वायु की गतिमान और बुद्धि में गणपति के समान तेजस्वी हो। माता अंजना की ये बात सुनकर शिव जी ने अपनी रौद्र शक्ति के अंश को पवन देव के रूप में यज्ञ कुंड में अर्पित कर दिया। बाद में यही शक्ति माता अंजना के गर्भ में प्रविष्ट हुई। फिर हनुमान जी का जन्म हुआ था।
हनुमान जी के 108 नाम
भीमसेन सहायकृते
कपीश्वराय
महाकायाय
कपिसेनानायक
कुमार ब्रह्मचारिणे
महाबलपराक्रमी
रामदूताय
अभयदाता
केसरी सुताय
शोक निवारणाय
अंजनागर्भसंभूताय
विभीषणप्रियाय
वज्रकायाय
रामभक्ताय
लंकापुरीविदाहक
सुग्रीव सचिवाय
पिंगलाक्षाय
हरिमर्कटमर्कटाय
रामकथालोलाय
सीतान्वेणकर्त्ता
वज्रनखाय
रुद्रवीर्य
वायु पुत्र
रामभक्त
वानरेश्वर
ब्रह्मचारी
आंजनेय
महावीर
हनुमत
मारुतात्मज
तत्वज्ञानप्रदाता
सीता मुद्राप्रदाता
अशोकवह्रिकक्षेत्रे
सर्वमायाविभंजन
सर्वबन्धविमोत्र
रक्षाविध्वंसकारी
परविद्यापरिहारी
परमशौर्यविनाशय
परमंत्र निराकर्त्रे
परयंत्र प्रभेदकाय
सर्वग्रह निवासिने
सर्वदु:खहराय
सर्वलोकचारिणे
मनोजवय
पारिजातमूलस्थाय
सर्वमूत्ररूपवते
सर्वतंत्ररूपिणे
सर्वयंत्रात्मकाय
सर्वरोगहराय
प्रभवे
सर्वविद्यासम्पत
भविष्य चतुरानन
रत्नकुण्डल पाहक
चंचलद्वाल
गंधर्वविद्यात्त्वज्ञ
कारागृहविमोक्त्री
सर्वबंधमोचकाय
सागरोत्तारकाय
प्रज्ञाय
प्रतापवते
बालार्कसदृशनाय
दशग्रीवकुलान्तक
लक्ष्मण प्राणदाता
महाद्युतये
चिरंजीवने
दैत्यविघातक
अक्षहन्त्रे
कालनाभाय
कांचनाभाय
पंचवक्त्राय
महातपसी
लंकिनीभंजन
श्रीमते
सिंहिकाप्राणहर्ता
लोकपूज्याय
धीराय
शूराय
दैत्यकुलान्तक
सुरारर्चित
महातेजस
रामचूड़ामणिप्रदाय
अंजली सुत
मैनाकपूजिताय
मार्तण्डमण्डलाय
विनितेन्द्रिय
रामसुग्रीव सन्धात्रे
महारावण मर्दनाय
स्फटिकाभाय
वागधीक्षाय
नवव्याकृतपंडित
चतुर्बाहवे
दीनबन्धवे
महात्मने
भक्तवत्सलाय
अपराजित
शुचये
वाग्मिने
दृढ़व्रताय
कालनेमि प्रमथनाय
दान्ताय
शान्ताय
प्रसनात्मने
शतकण्ठमदापहते
केसरी नंदन
अनघ
अकाय
तत्त्वगम्य
लंकारि
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