धर्म-अध्यात्म

गुरुवार के दिन करें ये उपाय, फिर देखिए कितनी होगी तरक्की

Triveni
1 April 2021 5:43 AM GMT
गुरुवार के दिन करें ये उपाय, फिर देखिए कितनी होगी तरक्की
x
आज साल 2021 के अप्रैल महीने का पहला गुरुवार है। गुरुवार को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| आज साल 2021 के अप्रैल महीने का पहला गुरुवार है। गुरुवार को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है। गुरु (Guru) एक महत्वपूर्ण ग्रह है जबकि बृहस्पति (Brihaspati Dev) को देवताओं का गुरु कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक गुरुवार को विष्णु भगवान का दिन माना जाता है।

सनातन परंपरा भगवान विष्णु को परब्रह्म कहती है और यह भी मानती है कि वही आदि गुरु हैं। इसी तरह हर गुरु का स्थान ब्रह्म से ऊंचा बताया गया है। कहा गया है कि गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः यानी गुरु ही ब्रह्मा-विष्णु और महेश हैं। वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को गुरु का दर्जा दिया गया है। गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा करके गुरु ग्रह की कृपा पाई जा सकती है और गुरु को प्रसन्न रखकर भगवान और ग्रह दोनों को प्रसन्न किया जा सकता है।
गुरुवार को भगवान विष्णु (Vishnu Bhagwan) की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान विष्णु को जगत का पालन हार भी कहा जाता है। विष्णु भगवान के आशीर्वाद से सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। भाग्य साथ नहीं दे रहा है या कोई भी समस्या चल रही है तो गुरुवार के दिन कुछ आसान उपाय करने से आपकी किस्मत बदल सकती है। इस दिन अगर आप कुछ उपाय करते हैं तो आपको जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या की नहीं होगी।
हिंदू शास्त्रों में बृहस्पतिवार को धन और समृद्धि के लिए खासतौर पर माना जाता है। मान्यता के मुताबिक गुरुवार को भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से मनुष्य का जीवन सुखों से भर जाता है। गुरुवार को लक्ष्मी-नारायण दोनों की एक साथ पूजा करने से जीवन में खुशियां आती है और पति-पत्नी के बीच कभी दूरियां नहीं आतीं। साथ ही धन में भी वृद्ध‍ि होती है।
जीवन में कई तरह की परेशानियां आती हैं जिनका हम चाहते हुए भी हल नहीं निकल पाते है। कुछ समस्याएं जैसे कड़ी मेहनत करने पर भी हमें उसका फल नहीं मिलता। सही जीवनसाथी की तलाश खत्म नहीं होती। घरेलू समस्याएं, मानसिक तनाव जैसी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए गुरुवार को पूजा करने से सुख शांति मिलती है। इतना ही नही अगर कुंडली में अगर गुरु खराब है तो मनुष्य अपने जीवन में कभी भी तरक्की नही कर सकता। गुरु को धन, वैवाहिक जीवन और संतान का कारक भी माना जाता है।
गुरुवार को केसर, पीला चंदन या फिर हल्दी का दान करना बहुत शुभ माना गया है। ऐसा करने से गुरु मजबूत होता है, जिससे आरोग्य और सुख की वृद्धि होती है। साथ ही घर में सुख-शांति का वास होता है। अगर आप इनका दान नहीं कर पाते हैं तो कोई बात नहीं इन्हें तिलक के रूप में लगाने से भी लाभ मिलता है
गुरुवार के उपाय (Guruwar Ke Upay)
- ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- स्नान के समय 'ॐ बृ बृहस्पते नमः' का जाप भी करें।
- गुरु के भी प्रकार के दोष को दूर करने के लिए आप गुरुवार के दिन नहाने के पानी में चुटकी भर हल्दी डालकर स्नान करें। इसके साथ ही साथ
- नहाते वक्त "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप जरूर जाप करें।
- गुरुवार का व्रत रखें और केले के पौधे में जल अर्पित कर पूजा अर्चना करें। ऐसा करने से विवाह में आने वाली रुकावटों का समाधान होता है और अगर आप विवाहित हैं तो आपके वैवाहिक जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आती।
- स्नान के बाद पीले रंग को वस्त्र धारण करें।
- स्नान के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा व चित्र का सामने घी का दीया जलाएं।
- भगवान विष्णु को पीले रंग के फूलों के साथ तुलसी का एक छोटा सा पत्ता अर्पित करें।
- अपने माथे पर हल्दी, चंदन या केसर का तिलक धारण करें।
- मान्यता के मुताबिक भगवान बृहस्पति को पीले रंग की चीजें बहुत पसंद हैं। इसलिए इस दिन ब्राह्मणों को पीले रंग की वस्तुएं जैसे- चने की दाल, फल आदि दान करें।
- इस दिन सुबह के समय चने की दाल और थोड़ा-सा गुड़ को घर के मुख्य द्वार पर रखें।
- इस दिन को धार्मिक महत्व के लिहाज भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। घर में धन की बरक्कत के लिए गुरुवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन पीले रंग की चीजों को विशेष महत्व दिया जाता है।
- गुरुवार के दिन न तो किसी को उधार दें और न हीं किसी से उधार लें। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपकी कुंडली में गुरु की स्थिति खराब हो सकती है और आपको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है।
- अगर आप गुरुवार का व्रत रखते हैं तो, इस दिन सत्यनारायण की व्रत कथा जरूर सुनें या पढ़ें।
बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के मंत्र (Brihaspati Dev Ke Mantra)
ॐ बृं बृहस्पतये नम:।
ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।
ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।
ॐ गुं गुरवे नम:।



Next Story