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आज आषाढ़ मास की संकष्टी चतुर्थी है। इस दिन समस्त दुखों का निवारण करने वाले संकटमोचन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की खास पूजा-अर्चना की जाती है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज आषाढ़ मास की संकष्टी चतुर्थी है। इस दिन समस्त दुखों का निवारण करने वाले संकटमोचन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की खास पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन श्रीगणेश की पूजा- अर्चना करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख- शांति का वास होता है। इस दिन गणेश जी को लड्डू, मोदक, फल और फूल चढ़ाया जाता है साथ ही धूप दीप से आरती की जाती है।
दरअसल हर महीने दो चतुर्थी पड़ती है। एक पूर्णिमा के बाद, दूसरी अमावस्या के बाद। दोनों चतुर्थी को अलग-अलग नाम से जाना जाता है। पूर्णिमा के बाद यानी कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। जबकि अमावस्या के बाद यानी शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। धर्मशास्त्र में पूर्णिमा के बाद पड़ने वाली चतुर्थी का खास महत्व है।
संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व (Sankashti Chaturthi Importance)
मान्यता के मुताबिक संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं। जिन लोगों के घर में मांगलिक कार्य नहीं होते हैं या जिनकी संतान का विवाह नहीं हो पा रहा है। उन्हें संकष्टी चतुर्थी का व्रत कर भगवान गणेश को प्रसन्न करना चाहिए। भगवान गणेश को शुभता का कारक माना जाता है। इसलिए कहते हैं कि उनका व्रत करने से घर-परिवार में शुभता का वास होता है। साथ ही जिन लोगों का व्यापार ठीक से नहीं चल रहा हो, वो लोग भी इस दिन व्रत रखकर गणेश जी को 4 बेसन के लड्डुओं का भोग लगाएं। ऐसा करने से व्यापार में तरक्की होने लगेगी।
संकष्टी चतुर्थी मंत्र (Sankashti Chaturthi Mantra)
1- गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
2- वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
3- ॐ श्री गं गणपतये नम: का जाप करें।
श्री गणेश जी का गायत्री मंत्र
- ऊँ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।
धन-संपत्ति प्राप्ति के लिए मंत्र
ऊँ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
र्विघ्न हरण का मंत्र
वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा॥
बाधांए दूर करने का मंत्र
एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। ।
- साफ कपड़े पहन कर भगवान गणेश का ध्यान करें।
- पूजा घर साफ करें, गंगाजल छिड़कें।
- चौकी पर पीले रंग का साफ कपड़ा बिछाएं। इस पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
- धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं।
- भगवान को जल और फूल अर्पित करें। रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाएं।
- लाल रंग के फूल, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग और इलायची अर्पित करें।
- नारियल और मोदक का भोग लगाएं।
- भगवान गणेश की आरती करें।
शाम के समय चांद के निकलने से पहले संकष्टी व्रत कथा का पाठ कर गणपति की पूजा करें। पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें। रात को चांद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है।
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Sankashti Chaturthi Shubh Muhurt)
संकष्टी चतुर्थी व्रत- 17 जून 2022 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा।
चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 17 जून 2022 सुबह 6:11 बजे।
चतुर्थी तिथि समाप्त- 18 जून 2022 पूर्वाह्न 2:59 बजे।
चंद्रोदय- चांद का उदय रात 10 बजकर 03 मिनट पर होगा। लिहाजा व्रतियों को व्रत का पूजन करने के लिए देर रात तक प्रतीक्षा करनी होगी।
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