धर्म-अध्यात्म

राधा अष्टमी पर करें ये उपाय, रिश्तों से खत्म होंगी दूरियां

Admin Delhi 1
23 Sep 2023 4:02 AM GMT
राधा अष्टमी पर करें ये उपाय, रिश्तों से खत्म होंगी दूरियां
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ज्योतिष न्यूज़: आज यानी 23 सितंबर दिन शनिवार को राधा अष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है जो कि राधा रानी की पूजा आराधना को समर्पित होता है। पंचांग के अनुसार हर साल राधा अष्टमी का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी पर मनाया जाता है मान्यता है कि इसी दिन श्रीकृष्ण की प्यारी राधा का जन्म हुआ था। इस दिन लोग बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं राधा अष्टमी कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिनों के बाद पड़ती है

इस दिन राधा कृष्ण की पूजा अर्चना और व्रत करने से अपार कृपा प्राप्त होती है लेकिन इसी के साथ ही अगर आज के दिन श्रीराधा परिहार स्तोत्र का पाठ किया जाए तो प्रेम जीवन और वैवाहिक जीवन में बना तनाव दूर हो जाता है और रिश्तों से दूरियां समाप्त हो जाती है।

श्रीराधा परिहार स्तोत्र

त्वं देवी जगतां माता विष्णुमाया सनातनी ।

कृष्णप्राणाधिदेवी च कृष्णप्राणाधिका शुभा ॥ १ ॥

कृष्णप्रेममयी शक्तिः कृष्णसौभाग्यरुपिणी ।

कृष्णभक्तिप्रदे राधे नमस्ते मङगलप्रदे ॥ २ ॥

अद्य मे सफलं जन्म जीवनं सार्थकं मम ।

पूजितासि मया सा च या श्रीकृष्णेन पूजिता ॥ ३ ॥

कृष्णवक्षसि या राधा सर्वसौभाग्यसंयुता ।

रासे रासेश्र्वरीरुपा वृन्दा वृन्दावने वने ॥ ४ ॥

कृष्णप्रिया च गोलोके तुलसी कानने तु या ।

चम्पावती कृष्णसंगे क्रीडा चम्पककानने ॥ ५ ॥

चन्द्रावली चन्द्रवने शतश्रृंङगे सतीति च ।

विरजादर्पहन्त्री च विरजातटकानने ॥ ६ ॥

पद्मावती पद्मवने कृष्णा कृष्णसरोवरे ।

Radha Ashtami 2023 do these upay on radha ashtami

भद्रा कुञ्जकुटीरे च काम्या च काम्यके वने ॥ ७ ॥

वैकुण्ठे च महालक्ष्मीर्वाणी नारायणोरसि ।

क्षीरोदे सिन्धुकन्या च मर्त्ये लक्ष्मीर्हरिप्रिया ॥ ८ ॥

सर्वस्वर्गे स्वर्गलक्ष्मीर्देवदुःखविनाशिनी ।

सनातनी विष्णुमाया दुर्गा शंकरवक्षसि ॥ ९ ॥

सावित्री वेदमाता च कलया ब्रह्मवक्षसि ।

कलया धर्मपत्नी त्वं नरनारायणप्रसूः ॥ १० ॥

कलया तुलसी त्वं च गङगा भुवनपावनी ।

लोमकुपोद्भवा गोप्यः कलांशा रोहिणी रतिः ॥ ११ ॥

कलाकलांशरुपा च शतरुपा शची दितिः ।

अदितिर्देवमाता च त्वत्कलांशा हरिप्रिया ॥ १२ ॥

देव्यश्र्च मुनिपत्न्यश्र्च त्वत्कलाकलया शुभे ।

कृष्णभक्तिं कृष्णदास्यं देहि मे कृष्णपूजिते ॥ १३ ॥

एवं कृत्वा परीहारं स्तुत्वा च कवचं पठेत् ।

पुरा कृतं स्तोत्रमेतद् भक्तिदास्यप्रदं शुभम् ॥ १४ ॥

॥ इति श्रीब्रह्मवैवर्ते श्रीराधायाः परीहारस्तोत्रं संपूर्णम् ॥

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