- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- गणेश चतुर्थी पर करें...
धर्म-अध्यात्म
गणेश चतुर्थी पर करें ये उपाय, चंद दिनों में मिलेगी कर्ज से मुक्ति
Tara Tandi
14 Sep 2023 12:40 PM GMT
x
धार्मिक पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जाता है जो कि भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना के लिए उत्तम समय होता है इस दौरान भक्त भगवान श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधि विधान से पूजा करते है और व्रत आदि भी रखते हैं इस बार गणेश चतुर्थी का त्योहार 19 सितंबर से आरंभ होने जा रहा है जिसका समापन अनंत चतुर्दशी तिथि के दिन हो जाएगा।
यह पर्व पूरे दस दिनों तक चलता है और भक्त इस दौरान भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना करते है मान्यता है कि इस दौरान पूजा पाठ करने से गौरी पुत्र की कृपा प्राप्त होती है लेकिन अगर आप लंबे वक्त से कर्ज को बोझ उठा रहे हैं और इससे छुटकारा पाना चाहते है तो गणेश चतुर्थी के दिन पूजा पाठ के बाद ऋणमोचन स्तोत्र का पाठ जरूर करें मान्यता है कि ये चमत्कारी पाठ सभी संकटों से मुक्ति दिलाता है।
ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्रम्
विनियोग
ॐ अस्य श्रीऋणविमोचनमहागणपति-स्तोत्रमन्त्रस्य
शुक्राचार्य ऋषिः ऋणविमोचनमहागणपतिर्देवता
अनुष्टुप् छन्दः ऋणविमोचनमहागणपतिप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।
स्तोत्र पाठ
ॐ स्मरामि देवदेवेशं वक्रतुण्डं महाबलम्।
षडक्षरं कृपासिन्धुं नमामि ऋणमुक्तये॥
महागणपतिं वन्दे महासेतुं महाबलम्।
एकमेवाद्वितीयं तु नमामि ऋणमुक्तये॥
एकाक्षरं त्वेकदन्तमेकं ब्रह्म सनातनम्।
महाविघ्नहरं देवं नमामि ऋणमुक्तये॥
शुक्लाम्बरं शुक्लवर्णं शुक्लगन्धानुलेपनम्।
सर्वशुक्लमयं देवं नमामि ऋणमुक्तये॥
रक्ताम्बरं रक्तवर्णं रक्तगन्धानुलेपनम्।
रक्तपुष्पैः पूज्यमानं नमामि ऋणमुक्तये॥
कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णं कृष्णगन्धानुलेपनम्।
कृष्णयज्ञोपवीतं च नमामि ऋणमुक्तये॥
पीताम्बरं पीतवर्ण पीतगन्धानुलेपनम्।
पीतपुष्पैः पूज्यमानं नमामि ऋणमुक्तये॥
सर्वात्मकं सर्ववर्णं सर्वगन्धानुलेपनम्।।
सर्वपुष्पैः पूज्यमानं नमामि ऋणमुक्तये॥
एतद् ऋणहरं स्तोत्रं त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।
षण्मासाभ्यन्तरे तस्य ऋणच्छेदो न संशयः॥
सहस्रदशकं कृत्वा ऋणमुक्तो धनी भवेत्॥
गणेश स्तुति
वन्दे गजेन्द्रवदनं वामाङ्कारूढवल्लभाश्लिष्टम् ।
कुङ्कुमरागशोणं कुवलयिनीजारकोरकापीडम् ॥
विघ्नान्धकारमित्रं शङ्करपुत्रं सरोजदलनेत्रम् ।
सिन्दूरारुणगात्रं सिन्धुरवक्त्रं नमाम्यहोरात्रम् ॥
गलद्दानगण्डं मिलद्भृङ्गषण्डं,
चलच्चारुशुण्डं जगत्त्राणशौण्डम् ।
लसद्दन्तकाण्डं विपद्भङ्गचण्डं,
शिवप्रेमपिण्डं भजे वक्रतुण्डम् ॥
गणेश्वरमुपास्महे गजमुखं कृपासागरं,
सुरासुरनमस्कृतं सुरवरं कुमाराग्रजम् ।
सुपाशसृणिमोदकस्फुटितदन्तहस्तोज्ज्वलं,
शिवोद्भवमभीष्टदं श्रितततेस्सुसिद्धिप्रदम् ॥
विघ्नध्वान्तनिवारणैकतरणिर्विघ्नाटवीहव्यवाट्,
विघ्नव्यालकुलप्रमत्तगरुडो विघ्नेभपञ्चाननः ।
विघ्नोत्तुङ्गगिरिप्रभेदनपविर्विघ्नाब्धिकुंभोद्भवः,
विघ्नाघौघघनप्रचण्डपवनो विघ्नेश्वरः पातु नः ॥
Tara Tandi
Next Story