धर्म-अध्यात्म

आज पापांकुशा एकादशी पर करें लक्ष्मी रमणा की आरती, आप से प्रसन्न होंगी मां लक्ष्मी

Subhi
16 Oct 2021 4:30 AM GMT
आज पापांकुशा एकादशी पर करें लक्ष्मी रमणा की आरती, आप से प्रसन्न होंगी मां लक्ष्मी
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हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। प्रत्येक हिंदी माह के दोनों पक्ष की एकादशी तिथि के दिन एकादशी का व्रत रखा जाता है। इसमें से पापांकुशा एकादशी का विशेष महत्व है।

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। प्रत्येक हिंदी माह के दोनों पक्ष की एकादशी तिथि के दिन एकादशी का व्रत रखा जाता है। इसमें से पापांकुशा एकादशी का विशेष महत्व है। अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन पापंकुशा एकादशी का व्रत और पूजन किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करने का विधान है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक भगवान विष्णु का पूजन करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही इस दिन लक्ष्मी रमण भागवान की आरती का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आपकी धन संबंधी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं। आपके घर में धन-संपदा की कभी कोई कमी नहीं रहती है।

लक्ष्मी रमणा भगवान की आरती
ऊँ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
रतन जड़ित सिंहासन,
अदभुत छवि राजे ।
नारद करत नीराजन,
घंटा वन बाजे ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
प्रकट भए कलिकारण,
द्विज को दरस दियो ।
बूढ़ो ब्राह्मण बनकर,
कंचन महल कियो ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
दुर्बल भील कठोरो,
जिन पर कृपा करी ।
चंद्रचूड़ एक राजा,
तिनकी विपत्ति हरि ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
वैश्य मनोरथ पायो,
श्रद्धा तज दीन्ही ।
सो फल भाग्यो प्रभुजी,
फिर स्तुति किन्ही ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
भव भक्ति के कारण,
छिन-छिन रूप धरयो ।
श्रद्धा धारण किन्ही,
तिनको काज सरो ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
ग्वाल-बाल संग राजा,
बन में भक्ति करी ।
मनवांछित फल दीन्हो,
दीन दयालु हरि ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
चढत प्रसाद सवायो,
कदली फल मेवा ।
धूप-दीप-तुलसी से,
राजी सत्यदेवा ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायणजी की आरती,
जो कोई नर गावे ।
ऋद्धि-सिद्ध सुख-संपत्ति,
सहज रूप पावे ॥
जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी,
जन पातक हरणा ॥


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