धर्म-अध्यात्म

रविवार को करें सूर्यदेव की आरती, कष्टों से मिलेगी मुक्ति

Tara Tandi
17 July 2022 6:25 AM GMT
रविवार को करें सूर्यदेव की आरती, कष्टों से मिलेगी मुक्ति
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हिंदू धर्म में रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित माना गया है। इस दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित माना गया है। इस दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। सूर्य देव को नवग्रहों का राजा कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सूर्य देव एक मात्र ऐसे देवता है जो भक्तों के नियमित रूप से साक्षात दर्शन देते हैं। ऐसे में रविवार के दिन विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। कहा जाता है कि सूर्यदेव की पूजा-उपासना करने से मानसिक और शारीरिक सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा सूर्य देव की कृपा से जातक को मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। ऐसे में सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए रविवार के दिन पूजा के साथ सूर्यदेव की आरती भी करें। सूर्यदेव की आरती करने से भगवान सूर्य की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं सूर्य देव की आरती लिरिक्स, यहां से आप पूजा के दौरान पढ़ सकते हैं...

सूर्य भगवान की आरती
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
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