धर्म-अध्यात्म

माघ पूर्णिमा की पूजा के दौरान करें एक काम, मिलेगा मनचाहा फल

Tara Tandi
23 Feb 2024 1:18 PM GMT
माघ पूर्णिमा की पूजा के दौरान करें एक काम, मिलेगा मनचाहा फल
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ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को खास माना गया है जो कि हर माह में एक बार आती है अभी माघ का महीना चल रहा है और इस माह की पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा या माघी पूर्णिमा के नाम से जाना जा रहा है जो कि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है इस दिन मां लक्ष्मी और श्री हरि की विधिवत पूजा का विधान होता है मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से उनका आशीर्वाद मिलता है और जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं इस बार माघ पूर्णिमा 24 फरवरी दिन शनिवार यानी कल मनाई जाएगी।

ऐसे में अगर आप भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो माघ पूर्णिमा के दिन भगवान की विधिवत पूजा करें और उन्हें पीले पुष्प, हल्दी, कुमकुम, खीर, अक्षत अर्पित करें। साथ ही पूजन के समय भगवान विष्णु की आरती भी करें। मान जाता है कि पूजा में प्रभु की आरती करने से पूजा पूर्ण हो जाती है और साधक की मनचाही इच्छा भी पूरी होती है, तो हम आपके लिए लेकर आए हैं विष्णु जी की आरती।
भगवान विष्णु की आरती—
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भगवान विष्णु की आरती
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
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