धर्म-अध्यात्म

कल इन 6 मुहूर्त में ना करें मां कात्यायनी की पूजा, जानें वजह

Ritisha Jaiswal
6 April 2022 4:52 PM GMT
कल इन 6 मुहूर्त में ना करें मां कात्यायनी की पूजा, जानें वजह
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चैत्र नवरात्रि का कल 7 अप्रैल 2022 को छठवां दिन है। नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती

चैत्र नवरात्रि का कल 7 अप्रैल 2022 को छठवां दिन है। नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां कात्यायनी की विधिवत पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही विवाह में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कात्यायनी ने महिषापुर का वध किया था। असुर महिषासुर का वध करने के कारण इन्हें दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है। आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा- विधि, मंत्र, आरती और भोग-

मां कात्यायनी का स्वरूप-
मां कात्यायनी आकर्षक स्वरूप की हैं। मां का शरीर सोने की तरह चमकीला है। मां की चार भुजाएं हैं। मां की सवारी सिंह यानी शेर है। मां के एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प सुशोभित है। मां के दूसरे दोनों हाथ वर और अभयमुद्रा में हैं।
मां कात्यायनी का भोग-
मां कात्यायनी को भोग में शहद अर्पित करना चाहिए। मान्यता है कि मां को शहद अतिप्रिय है।
मां कात्यायनी प्रिय पुष्प व रंग-

नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा को लाल रंग का पुष्प अर्पित करना चाहिए। मां को खासकर लाल गुलाब बहुत प्रिय है। ऐसे में पूजा के दौरान लाल पुष्प अर्पित करना चाहिए।
कल इन मुहूर्त में न करें पूजा-
राहुकाल- 09:08 ए एम से 10:45 ए एम
यमगण्ड- 01:58 पी एम से 03:34 पी एम
आडल योग- 08:40 ए एम से 05:54 ए एम, अप्रैल 17
विडाल योग- 05:55 ए एम से 08:40 ए एम
गुलिक काल- 05:55 ए एम से 07:31 ए एम
वर्ज्य- 04:12 पी एम से 05:43 पी एम

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मां कात्यायनी पूजा- विधि-

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और फिर साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
मां की प्रतिमा को शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कराएं।
मां को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
मां को स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम लगाएं।
मां को पांच प्रकार के फल और मिष्ठान का भोग लगाएं।
मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाएं।
मां कात्यायनी का अधिक से अधिक ध्यान करें।
मां की आरती भी करें।

मां कात्यायनी मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मा कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

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मां कात्यायनी की आरती-
जय-जय अम्बे जय कात्यायनी

जय जगमाता जग की महारानी

बैजनाथ स्थान तुम्हारा

वहा वरदाती नाम पुकारा

कई नाम है कई धाम है

यह स्थान भी तो सुखधाम है

हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी

कही योगेश्वरी महिमा न्यारी

हर जगह उत्सव होते रहते

हर मंदिर में भगत हैं कहते

कत्यानी रक्षक काया की

ग्रंथि काटे मोह माया की

झूठे मोह से छुडाने वाली

अपना नाम जपाने वाली

बृहस्‍पतिवार को पूजा करिए

ध्यान कात्यायनी का धरिए

हर संकट को दूर करेगी

भंडारे भरपूर करेगी

जो भी मां को 'चमन' पुकारे

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।


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