धर्म-अध्यात्म

घर में इन जगहों पर ना लगाएं पितरों की तस्वीर

Tara Tandi
11 Sep 2022 12:24 PM GMT
घर में इन जगहों पर ना लगाएं पितरों की तस्वीर
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पितृ पक्ष शुरू हो गए हैं और इस समय हम अपने पितरों को खुश करने के लिए श्राद्ध कर्म और दान-पुण्य करते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पितृ पक्ष शुरू हो गए हैं और इस समय हम अपने पितरों को खुश करने के लिए श्राद्ध कर्म और दान-पुण्य करते हैं, ताकि उनका आशीर्वाद मिल सके। हमारे पितरों का आशीर्वाद हमारे लिए बहुत जरूरी है। 10 सितंबर से इस वर्ष का पितृ पक्ष आरंभ हो रहा है। ज्योतिष व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक वर्ष पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को प्रारंभ होकर अमावस्या तिथि को समाप्त होते हैं। वास्तु शास्त्र में पितृ पक्ष से जुड़े खास उपाय बताए गए हैं, जिन्हें पितृपक्ष के दौरान करने से व्यक्ति को पितरों के आशीर्वाद के साथ-साथ कई अन्य लाभ प्राप्त होते हैं तथा जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होगा।ज्यादातर घरों में याद के तौर पर अपने पितरों की तस्वीर लगाते हैं। जिसे लगाना कोई गलत बात नहीं है, लेकिन यही तस्वीर अगर घर में गलत दिशा में लगी हो तो घर पर तथा वहां रहने वालों पर इसका नकारात्मक प्रभाव हावी हो जाता है। वास्तु के अनुसार, पितरों की तस्वीर लगाने के लिए दक्षिण दिशा को सबसे शुभ माना गई है। इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि इसे ऐसी जगह पर पितरों की तस्वीर न लगाएं, जहां लोगों की और आपकी आते जाते समय नजर तस्वीर पर पड़े।

घर में गलत दिशा में लगी पितरों की तस्वीर वास्तु दोष को पैदा होता है, पितरों के साथ-साथ देवता भी नाराज होते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप घर के सदस्यों के जीवन में कलह-क्लेश होने लगता है और सुख-समृद्धि कोसों दूर चली जाती है। इसके अतिरिक्त इस बात ख्याल रखना जरूरी है कि पितरों की तस्वीरों को कभी भी अपने बेडरूम, पूजा घर या किचन में कभी नहीं लगानी चाहिए। वास्तु शास्त्र में इन जगहों पर पितरों की तस्वीर लगाना वर्जित माना गया है।
पितृपक्ष के समय हर रोज प्रातः मुख्य द्वार पर जल देना चाहिए। वहीं शाम के समय दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, पितरों को प्रसन्न करने के लिए घर के मुख्य द्वार को हमेशा साफ रखें और हर रोज सुबह मुख्य द्वार में जल डालें।
पितृपक्ष के दौरान बाल नहीं कटवाने चाहिए, ऐसा करने से वर्जित माना गया है। कोई भी नया कार्य या घर में मंगल कार्य का आयोजन नहीं करने चाहिए, ऐसा करने से पितर नाराज हो जाते हैं।
पितृपक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के लिए ब्राह्मणों को भोजन करवाने का नियम है। भोजन पूर्ण सात्विक एवं धार्मिक विचारों वाले ब्राह्मण को ही करवाना चाहिए। पितृ पक्ष में पशु पक्षियों को अन्न-जल देने से विशेष लाभ होता है। इन्हें भोजन देने से पितृगण संतुष्ट होते हैं।


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