धर्म-अध्यात्म

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को भूलकर भी न अर्पित न करें ये चीजें

Subhi
14 Feb 2022 1:52 AM GMT
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को भूलकर भी न अर्पित न करें ये चीजें
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फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है। इस वर्ष महाशिवरात्रि 1 मार्च, मंगलवार को मनाई जाएगी।

फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है। इस वर्ष महाशिवरात्रि 1 मार्च, मंगलवार को मनाई जाएगी। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है। महाशिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती की विवाह की रात्री है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक करने से भक्त की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भांग-धतूरा, दूध, चंदन, भस्म जैसी कई वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। लेकिन अक्सर अनजाने में हम कुछ ऐसी वस्तुएं अर्पित कर देते हैं जिसके कारण भगवान शंकर कुपित हो सकते हैं। शिवपुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि भगवान शिव की आराधना करते समय कौन सी वस्तुएं शिवलिंग पर अर्पित नहीं करनी चाहिए। आइए जानते हैं क्या हैं वो वस्तुएं-

शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुष तत्व माना जाता है और हल्दी स्त्रियों से संबंधित मानी जाती है। यही कारण है कि शिवलिंग पर हल्दी चढ़ाना वर्जित है। इससे भगवान शिव क्रोधित हो सकते हैं।

भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है और सिंदूर महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए लगाती हैं। इसलिए भगवान शिव पर सिंदूर चढ़ाना अशुभ माना जाता है। इसके स्थान पर भगवान शिव को चंदन का तिलक लगाना शुभ माना जाता है।

भगवान शिव को तुलसी भी अर्पित नहीं की जाती है।शिवपुराण के अनुसार जालंधर नाम के राक्षस को अपनी पत्नी वृंदा की पवित्रता और विष्णु जी द्वारा दिए गए कवच के कारण अमरता का वरदान मिला था। अमर होने के इस वरदान के कारण वह लोगों पर अत्याचार करने लगा, तो शिव जी ने उसका वध कर दिया। इससे नाराज वृंदा ने शिव जी को श्राप दिया के उनके पूजन में तुलसी का उपयोग वर्जित रहेगा।

शिव-पुराण में उल्लेख है कि शिव जी ने शंखचूड़ नाम के एक दैत्य का वध किया था इसलिए शिव जी को शंख से जल चढ़ाने पर या पूजा में शंख का उपयोग करने से वे नाराज हो सकते हैं।

भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी केतकी का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए। भगवान महादेव ने इस फूल का अपनी पूजा से त्याग कर दिया है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी में कौन सर्वश्रेष्ठ है इस बात को लेकर विवाद हो गया, इस बात का फैसला कराने के लिए भगवान शिव के पास पहुंचे। इस पर भगवान शिव ने एक शिवलिंग को प्रकट कर उन्हें उसके आदि और अंत पता लगाने को कहा। उन्होंने कहा जो इस बात का उत्तर दे देगा वही सर्वश्रेष्ठ है। इसके बाद विष्णु जी उपर की ओर चले और काफी दूर तक जाने के बाद पता नहीं लगा पाए। उधर ब्रह्मा जी नीचे की ओर चले और उन्हें भी कोई छोर न मिला। नीचे की ओर जाते समय उनकी नजर केतकी के पुष्प पर पड़ी, जो उनके साथ चला आ रहा था।उन्होंने केतकी के पुष्प को भगवान शिव से झूठ बोलने के लिए मना लिया। जब ब्रह्मा जी ने भगवान शिव से कहा कि मैंने पता लगा लिया है और केतकी के पुष्प से झूठी गवाही भी दिलवा दी तो त्रिकालदर्शी शिव ने ब्रह्मा जी और केतकी के पुष्प का झूठ जान लिया। उसी समय उन्होंने न सिर्फ ब्रह्मा जी के उस सिर को काट दिया जिसने झूठ बोला था बल्कि केतकी की पुष्प को अपनी पूजा में प्रयोग किए जाने के अधिकार से भी वंचित कर दिया।


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