धर्म-अध्यात्म

Bhagwati Stotram का पाठ करते समय भूल से भी ना करें ये गलतियां

Tara Tandi
25 April 2025 7:58 AM GMT
Bhagwati Stotram का पाठ करते समय भूल से भी ना करें ये गलतियां
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Bhagwati Stotram ज्योतिष न्यूज़ : भारतीय सनातन परंपरा में देवी उपासना का विशेष स्थान है। देवी दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती और उनके विविध रूपों की आराधना भक्तों को शक्ति, बुद्धि और समृद्धि प्रदान करती है। इन्हीं देवी स्वरूपों की स्तुति के लिए रचा गया एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है – “श्री भगवती स्तोत्रम्”। यह स्तोत्र भक्तों द्वारा मां दुर्गा को प्रसन्न करने हेतु श्रद्धा और भक्ति से पढ़ा जाता है।
॥ भगवती स्तोत्रम् ॥
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणी नमोऽस्तु ते ॥ 1 ॥
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते ।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते ॥ 2 ॥
सर्वज्ञानमयी देवि स्वर्गमुक्तिप्रदायिनि ।
भुक्तिमुक्तिप्रदे देवि नारायणी नमोऽस्तु ते ॥ 3 ॥
शरण्ये त्र्यम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ।
सुधाशरदिवाकान्ति सच्चिदानन्दविग्रहे ॥ 4 ॥
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणी नमोऽस्तु ते ॥ 5 ॥
जगन्मातर्जगद्वन्द्ये जगत्पूज्ये परात्परे ।
सर्वदेवमयी देवि नारायणी नमोऽस्तु ते ॥ 6 ॥
स्तोत्र का महत्व
“श्री भगवती स्तोत्रम्” देवी भगवती की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक, आत्मिक और सामाजिक शांति का भी माध्यम है। इसमें देवी को सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञानी और संकटों से रक्षा करने वाली माता के रूप में स्मरण किया गया है।
स्तोत्र का स्वरूप
इस स्तोत्र में देवी के विविध रूपों की वंदना की गई है – जैसे शरणागतों की रक्षक, भय का नाश करने वाली, ज्ञान और मुक्ति की दात्री, तथा सर्वदेवताओं की अधिष्ठात्री शक्ति।
प्रमुख श्लोकों में उल्लेखित कुछ स्वरूप इस प्रकार हैं:
“शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे” – जो दीन-हीनों की रक्षा में सदा तत्पर हैं।
“सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते” – जो समस्त स्वरूपों में व्याप्त, सर्वशक्ति सम्पन्न हैं।
“सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके” – जो समस्त मंगलों में मंगल हैं और सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली हैं।
यह स्तोत्र विशेषकर नवरात्रि, अष्टमी, और अन्य देवी पर्वों पर पढ़ा जाता है। इसे श्रद्धा और नियम से पढ़ने से मन की शुद्धि होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
आध्यात्मिक लाभ
मन की शांति: इसका नियमित पाठ मन को एकाग्र करता है और चिंता, भय एवं भ्रम को दूर करता है।
संकटों से मुक्ति: जीवन में आने वाली बाधाओं, दु:खों और दुर्भाग्य से रक्षा हेतु यह स्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
शक्ति का संचार: यह स्तोत्र भक्त में आंतरिक शक्ति, आत्मबल और आत्मविश्वास का संचार करता है।
भक्ति की दृष्टि से
भक्तों के लिए यह स्तोत्र एक आत्मिक साधना का साधन है। जब कोई व्यक्ति संकट में होता है, तो वह देवी को पुकारता है। “श्री भगवती स्तोत्रम्” उस पुकार को स्वर देता है – एक विनम्र प्रार्थना के रूप में, जिसमें आत्मसमर्पण और श्रद्धा का पूर्ण समावेश होता है।
निष्कर्ष
“श्री भगवती स्तोत्रम्” केवल श्लोकों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह शक्ति, विश्वास और प्रेम का संगम है। यह देवी के प्रति समर्पण का प्रतीक है और यह बताता है कि जब मनुष्य सच्चे मन से माँ को पुकारता है, तो वह सदा उसकी रक्षा करती हैं। आज की भागदौड़ भरी दुनिया में यह स्तोत्र मानसिक शांति और आत्मिक बल प्राप्त करने का एक सरल और प्रभावी माध्यम है।
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