धर्म-अध्यात्म

अपरा एकादशी के दिन न करें ये गलतियां, वरना उठाना पड़ सकता है बड़ा खामियाजा

Rani Sahu
20 May 2022 4:41 PM GMT
अपरा एकादशी के दिन न करें ये गलतियां, वरना उठाना पड़ सकता है बड़ा खामियाजा
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एकादशी के दिन का सनातन धर्म में विशेष महत्व बताया गया है

एकादशी के दिन का सनातन धर्म में विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन लोग भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत एवं पूजा-पाठ करते हैं. हर माह में दो एकादशी आती हैं और इस लिहाज से पूरे साल में 24 एकादशी के व्रत होते हैं. ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाले दिन को अपरा एकादशी (Apara Ekadashi ) के रूप में जाना जाता है. मान्यता है कि अचला या अपरा एकादशी ( Ekadashi ) के रूप में पूजे जाने वाले इस दिन पर अपार पुण्य कमाए जा सकते हैं. कहते हैं कि महाभारत के समय में पांडवों ने भी एकादशी का महत्व समझते हुए इस दिन व्रत रखा था. ऐसा करने से इतना पुण्य मिला की उन्हें युद्ध में जीत प्राप्त हुई, साथ ही मान-सम्मान, यश और राज्य सब कुछ प्राप्त हुआ

हालांकि, इस दिन लोग व्रत या पूजा-पाठ तो करते हैं, लेकिन वे ऐसी भी गलतियां कर देते हैं, जो उन्हें नुकसान पहुंचा सकती हैं. हम आपको अपरा शक्ति का शुभ मुहूर्त और इस दिन किन कामों को नहीं करना चाहिए, ये बताने जा रहे हैं.
जानें शुभ मूहूर्त
जेष्ठ कृष्ण एकादशी के रूप में भी पहचाने जाने वाली अपरा एकादशी का समय 25 मई की सुबह 10.32 बजे से शुरू होगा और ये 26 मई गुरुवार की सुबह 10.54 बजे तक जारी रहेगा. माना जा रहा है कि पूजा का शुभ मुहूर्त 26 मई को सुबह शुरू होगा. पारण का समय 27 मई शुक्रवार 05.25 बजे से 8.10 बजे तक रहेगा.
इन कामों को करने से बचें
अपरा एकादशी के दिन भले ही आपने व्रत रखा हो या नहीं. आप पूजा-पाठ कर रहे हैं, लेकिन शाम या दिन में चावल का भोजन कर रहे हैं, तो ऐसा बिल्कुल न करें. एकादशी के दिन चावल का सेवन करना अशुभ माना जाता है या यूं कहे कि इस दिन चावल को खाना वर्जित होता है.
अपरा एकादशी व्रत को अत्यंत पुण्यदायी एकादशी माना गया है. माना जाता है कि इस दिन व्रत रखकर यदि गंगा स्नान किया जाए तो व्यक्ति के पाप कटते हैं. साथ ही पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है. हालांकि, व्रत और पूजा-पाठ करने वाले भी इस दिन घर आए किसी भिक्षु को खाली हाथ लौटा देते हैं. ऐसी भूल न करें. एकादशी का पुण्य से घनिष्ठ संबंध हैं और दान करना सबसे बड़ा पुण्य होता है. इसलिए इस दिन दान अवश्य करें.
कुछ लोग व्रत और पूजा-पाठ के सभी नियमों का पालन करते हैं, लेकिन वे क्रोध आने पर आपा खो देते हें. क्रोध और झूठ मनुष्य के सबसे बड़े दुश्मन होते हैं. एकादशी का व्रत ही नहीं सामान्य दिनों में भी शांत व्यवहार अपनाना चाहिए. किसी भी तरह के झूठ को बोलने से बचें.
Rani Sahu

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