धर्म-अध्यात्म

गंगा स्नान के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां

Tara Tandi
7 Jun 2022 7:16 AM GMT
गंगा स्नान के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां
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ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है. लोक भाषा में इसे ज्येष्ठ दशहरा या जेठ दशहरा भी कहा जाता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है. लोक भाषा में इसे ज्येष्ठ दशहरा या जेठ दशहरा भी कहा जाता है. मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा धरती पर अव​तरित हुई थीं. मां गंगा को शास्त्रों में मोक्षदायिनी माना गया है. इस बार गंगा दशहरा का पर्व 9 जून 2022 दिन गुरुवार को मनाया जाएगा. माना जाता है कि गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) के दिन गंगा में डुबकी लगाने से जीवन के पाप धुल जाते हैं और धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों की प्राप्ति होती है. गंगा दशहरा पर गंगा स्नान व पूजन करने से साधक को अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है. लेकिन गंगा स्नान के भी कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है. यहां जानिए इन नियमों के बारे में.

गंगा स्नान के नियम
– गंगा स्नान करते समय मां गंगा को प्रणाम करके गंगा में डुबकी लगाना चाहिए. शरीर का मैल रगड़कर गंगा में नहीं डालना चाहिए. न ही अपने कपड़ों को पवित्र गंगा में धोना चाहिए.
– गंगा स्नान करने से पहले सबसे पहले सूर्य देव और अपने ​इष्ट देव का ध्यान करें, फिर मां गंगा को प्रणाम करें और गंगा में हर हर गंगे बोलकर डुबकी लगाएं. आप चाहें तो गंगा मैया के मंत्र 'ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः' मंत्र का जाप भी कर सकते हैं.
– गंगा आपके पापों को दूर करती है, इसलिए गंगा में डुबकी लगाने के बाद कभी भी शरीर को पोंछना नहीं चाहिए. स्वा​भाविक रूप से शरीर को सूखने दें और वस्त्र धारण करें.
– जन्म सूतक या मृत्यु सूतक के समय भी पवित्र गंगा का स्नान किया जा सकता है. लेकिन महिलाओं को अपवित्र स्थिति में गंगा स्नान नहीं करना चाहिए.
– गंगा स्नान के बाद मां गंगा का विधिवत पूजन करना चाहिए. उन्हें रोली, पुष्प, माला, अक्षत, धूप, दीप और नैवेद्य आदि अर्पित करें और गंगा मंत्रों और स्तुति को पढ़ें. इसके बाद जरूरतमंदों को सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए.
– किसी भी तरह की गंदगी, प्लास्टिक, कूड़ा और कचरा गंगा नदी में न डालें. इससे गंगा मैली होती हैं और इसे मां गंगा का निरादर माना जाता है.
– अगर आप किसी कारण से गंगा स्नान के लिए घाट पर नहीं जा पा रहे हैं तो सामान्य जल में गंगा जल मिलाकर उसे पवित्र करें. मां गंगा का ध्यान करें और हर हर गंगे बोलकर स्नान करें. इसके बाद मां गंगा की घर पर ही स्तुति करें. इससे भी आपको गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त होगा.
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