धर्म-अध्यात्म

पितृपक्ष में भूलकर न करें ये गलतियां

Tara Tandi
16 Sep 2021 1:50 AM GMT
पितृपक्ष में भूलकर न करें ये गलतियां
x
हिंदू धर्म में पितृपक्ष बहुत महत्वपूर्ण होता है.

हिंदू धर्म में पितृपक्ष बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस बार पितृपक्ष 20 सितंबर 2021 से शुरू हो रहा है जो सर्व पितृ अमावस्या के दिन यानी 06 अक्टूबर तक चलेगा. श्राद्ध पश्र के दौरान पितरों को प्रसन्न करने के लिए तपर्ण किया जाता है. मान्यता है कि जो लोग देह त्याग कर परलोक चले गए हैं उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए तर्पण किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु के देवता यमराज भी श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं ताकि अपने परिजनों के घर जाकर तृपण कर सके.

पितृपक्ष में पितरों को तृपण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. ऐसा करने से कुंडली में पितृ दोष से भी छुटकारा मिलता है. कहते हैं कि श्राद्ध पक्ष में पितृ अपने परिजनों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर आते हैं. श्राद्ध में पितरों की नारजगी को लेकर कुछ बातों का ध्यान देना बेहद जरूरी है. आइए जानते हैं इस दौरान किन गलतियों को करने से बचना चाहिए.

1. श्राद्ध कर्म के दौरान लोहे का बर्तन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि पितृपक्ष में लोहे के बर्तन इस्तेमाल करने से परिवार पर अशुभ प्रभाव पड़ता है. इस दौरान पीतल, तांबा या अन्य धातु से बने बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए.

2. पितृपक्ष में श्राद्ध के दौरान तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए. इसके अलावा दूसरों के घर का बना खाना और पान का सेवन नहीं करना चाहिए. श्राद्ध पक्ष में लहसुन, प्याज से बना भोजन नहीं करना चाहिए. इस दिन ब्राह्माणों को भोजन करवाना शुभ होता है.

3. पतृपक्ष में किसी तरह का कोई शुभ कार्य नहीं होता है. किसी तरह की नई चीज को नहीं खरीदना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा करते हैं.

4. पितृपक्ष में जो भी पुरुष श्राद्ध कर्म करते हैं उन्हें इस दौरान बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए. मान्यता है कि बाल और दाढ़ी काटने से धन की हानि होता है क्योंकि यह शोक का समय माना जाता है.

5. पितृपक्ष में घर पर सात्विक भोजन बनाना सबसे उत्तम होता है. अगर आपको पितरों की मृत्यु तिथि याद है तो पिंडदान भी करना चाहिए. पितृपक्ष के आखिरी दिन पिंडदान और तर्पण करना चाहिए.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Next Story