धर्म-अध्यात्म

भगवान सूर्य को जल देते समय भूलकर न करें ये बड़ी गलतियां, जाने

Bhumika Sahu
21 Nov 2021 6:05 AM GMT
भगवान सूर्य को जल देते समय भूलकर न करें ये बड़ी गलतियां, जाने
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सनातन परंपरा में सूर्य की साधना अत्यंत कल्याणकारी मानी गई है. सूर्यदेव की जिस व्यक्ति पर ​कृपा होती है, वह राजा के समान जीवन जीता है. सुख, सौभाग्य और आरोग्य प्रदान करने वाले प्रत्यक्ष देवता सूर्य के सरल और प्रभावी उपाय जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्योतिष में सूर्य को राजा माना गया है. कुंडली के 12 खानों में रहने वाले नवग्रहों में सूर्य किसी भी जातक के आत्मबल, प्रतिष्ठा और पहचान के प्रतीक हैं. कुंडली में सूर्य के शुभ होने पर व्यक्ति राजसी ठाठ-बाट वाला जीवन जीता है. बात रोजी-राजगार की हो या फिर सकारात्मक उर्जा और आत्मबल की, सूर्य उसमें अहम भूमिका अदा करता है. किसी भी जातक की सरकारी नौकरी के सपने को पूरा करने में सूर्यदेव की अहम भूमिका होती है. किसी भी जातक की कुंडली में सूर्य से उसके सुख, यश, तेज, शूरता, आत्मा, पिता, रोजगार, सिर के रोग, आंख के रोग, शत्रुता, आरोग्यता आदि का विचार किया जाता है. आइए जानते हैं कि सूर्यदेव को प्रसन्न करके उनकी कृपा पाने के लिए पूजा में क्या करना चाहिए और क्या भूलकर भी नहीं करना चाहिए.

सूर्यदेव की पूजा का उपाय
सूर्यदेव की शुभता पाने के लिए सबसे सरल और प्रभावी उपाय है, प्रात:काल उगते हुए सूर्य को जल देना. इसके लिए प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान के बाद तांबे के लोटे से भगवान सूर्य को जल देना चाहिए. इसके बाद भगवान सूर्यदेव की कृपा बरसाने वाले आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ तीन बार करें.
सूर्यदेव को जल देने की विधि
भगवान सूर्य को जल हमेशा पूर्व दिशा में ही चढ़ाएं और जल चढ़ाते समय तांबे के लोटे को दोनों हाथ से पकड़े और अपने सिर के उपर से सूर्यदेव को अघ्र्य दें. लोटे में जल के साथ लाल फूल, कुमकुम और चावल भी डाल लें. सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय जल की गिरती धार के बीच से आ रही सूर्य किरणों के दर्शन करें.
जल देते समय भगवान सूर्य के मंत्र का जप करें. इसके बाद आप जिस स्थान पर खड़े होकर सूर्यदेव को जल दें, वहीं पर चारों ओर घूमकर सूर्यदेव की परिक्रमा को पूरा करें.
पूजा में रखें इन बातों का ध्यान
हमेशा उगते हुए सूर्यदेव को जल चढ़ाने का प्रयास करें और यदि किसी कारण ऐसा न कर पाएं तो उस दिन जल में रोली और अक्षत डालकर सूर्यदेव को अघ्र्य दें. सूर्यदेव को हमेशा नंगे पैर जल चढ़ाएं और इस बात का पूरा ख्याल रखें कि सूर्य दिया जा रहा जल आपके पैरों में न पड़ने पाए. सूर्यदेव को हमेशा ताजा और पवित्र जल चढ़ाएं. यदि संभव हो तो जल में थोड़ा सा गंगाजल मिला लें.


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