- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- घर में न रखे इस भगवान...

x
जी हाँ, कौन सी मूर्ति ये समझने से ज़्यादा ये आवश्यक है कि हमें पता रहे कि किस-किस तरह की और कौन से देवताओं की मूर्तियाँ घर में कभी नहीं रखी जानी चाहिए। एक मुख्य बात जो आपको ध्यान रखनी है वो ये है कि गणेश जी की पीठ की तरफ दरिद्रता का निवास होता है, इसलिए गणेश जी की मूर्ति ऐसी रखें कि केवल उनके सामने का हिस्सा ही हर किसी को दिखे।
ऐसा सुनिश्चित करने के लिए आप या तो अपने पूजा कमरे में ही गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा रखें (जहाँ कम जगह में गणेश भगवान का सिर्फ अग्र भाग ही दिखे)। बहुत से लोग तो अपने घर में गणेश भगवान की कई अलग-अलग तरह की आकर्षक बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ लगाते हैं जिनमें वो चारपाई पर लेटे हैं, पढ़ रहे हैं या बाजा बजा रहे हैं, इत्यादि पर आप भूल कर भी ऐसा ना करें क्योंकि यह तो भगवान की छवि को शो-पीस की तरह इस्तेमाल करने वाली बात हो गयी।
एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि लक्ष्मी जी की मूर्ति आप कभी भी खड़ी अवस्था में ना लायें। इसके पीछे तर्क यह दिया गया है कि लक्ष्मी चंचला होती हैं और उनके पैर आपके घर में तभी टिकेंगे यदि वो बैठी हुई अवस्था में होंगी।
भगवान की कौन सी मूर्ति रखें और कितनी संख्या में रखें, इसके कुछ नियम और भी हैं जिनको आप समझ लें और इनका ध्यान रखें। आप घर में एक से अधिक शिवलिंग ना रखें और भगवान विष्णु स्वरुप शालिग्राम पत्थर का छोटे से छोटा टुकड़ा ही घर में रखें। कुछ और देवी-देवताओं की मूर्तियां रखना बहुत अशुभ माना जाता है। इनमें से मुख्य रूप से शनि देव, भैरव बाबा और नटराज की मूर्तियां ऐसी हैं जिनको घर में नहीं रखना चाहिए।
इनके अलावा कुछ छोटी-छोटी बातों का भी ख़्याल रखें जैसे कोशिश करें कि देवताओं की मूर्तियाँ अधिक बड़ी ना हो, इसके लिए लगभग अधिकतम 6 इंच से बड़ी मूर्ति ना रखें। इस के पीछे विज्ञान यह है कि बड़ी मूर्ति को जल चढ़ाना या स्नान कराना, साफ-सफाई इत्यादि बहुत मुश्किल होता है और अक्सर बड़ी मूर्तियाँ गंदी भी रह जाती हैं।
आप भगवान की मूर्ति रख रहे हैं तो उनकी मूर्ति का रख-रखाव भी ध्यान से करें अन्यथा उनका अपमान होगा और भगवान की मूर्ति महज एक शो-पीस के जैसी रह जाएगी जो कि नहीं होना चाहिए। यह भी विशेष ध्यान रखें कि देवी-देवताओं की क्रोधित अवस्था वाली मूर्तियाँ आप घर के किसी भी हिस्से में ना रखें चाहे वो पूजा कमरा ही क्यों न हो।
भगवान की वह क्रोधित लीला किसी विशेष प्रयोजन जैसे दुष्टों कर संहार करके पाप का सर्वनाश के लिए थी, परंतु जैसे कि आर्टिकल में ऊपर बताया गया कि उससे आपके मन पर क्रोध वाला प्रभाव पड़ेगा जिससे हमें बचना चाहिए।
एक बात जो बहुत आसानी से देखी और समझी जा सकती है कि पश्चिमी सभ्यता द्वारा साइकोलॉजी विषय के बारे में रिसर्च करने और इस विषय पर कोर्स शुरू करने से हज़ारों साल पहले हिन्दू धर्म के महान आध्यात्मिक रिसर्च यानी तपस्या करने वाले ऋषि-मुनियों ने कितने सूझ-बूझ और मनोविज्ञान को समझते हुए देवी-देवताओं की मूर्तियों का स्वरुप आदि ग्रंथों और प्राचीन शास्त्रों के जरिए दुनिया को बताया।
Tagsवास्तु दोषवास्तु दोष के उपायवास्तु दोष निवारण के उपायवास्तु शास्त्रवास्तु शास्त्र का ज्ञानवास्तु के नियमवास्तु टिप्सकुछ महत्वपूर्ण वास्तु नियमसनातन धर्महिंदू धर्मभारतीय ज्योतिष शास्त्रज्योतिष शास्त्रVastu DoshaVastu Dosha RemediesVastu ShastraKnowledge of Vastu ShastraRules of VastuVastu TipsSome Important Vastu RulesSanatan DharmaHinduismIndian AstrologyJyotish Shastraजनता से रिश्ताजनता से रिश्ता न्यूज़लेटेस्ट न्यूज़न्यूज़ वेबडेस्कआज की बड़ी खबरRelationship with publicrelationship with public newslatest newsnews webdesktoday's big news

Apurva Srivastav
Next Story