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सनातन धर्म में भगवान गणेश की सबसे पहले पूजा करने का विधान है। किसी भी पूजा की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा के साथ होती है।
सनातन धर्म में भगवान गणेश की सबसे पहले पूजा करने का विधान है। किसी भी पूजा की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा के साथ होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति भगवान गणेश की श्रद्धापूर्वक पूजा-उपासना करता है, उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। हालांकि, भगवान गणेश की पूजा के समय विशेष ध्यान देने की जरूरत है। अगर इनकी पूजा में कोई भूल चूक होती है, तो वह व्यक्ति के लिए अशुभ होता है। इसके अतिरिक्त भगवान गणेश की मूर्ति खरीदने और स्थापित करने के समय भी विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। अगर आपको नहीं पता है तो आइए जानते हैं-
घर में भगवान गणेश की मूर्ति तभी स्थापित करें, जब आप रोजाना उनकी पूजा और प्रार्थना कर सकें। अगर आप ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं तो घर में मूर्ति स्थापित न करें।
यह सुनिश्चित कर लें कि भगवान गणेश की मूर्ति 18 सेंटीमीटर से अधिक ऊंची न हो। धार्मिक मान्यता है कि घर पर इसी आकार की मूर्ति की पूजा करनी चाहिए।जिस मूर्ति में दाईं तरफ सूंढ़ हो, उसे न खरीदें, क्योंकि भगवान गणेश के इस रूप की पूजा का विशेष नियम निष्ठा है, जिसका निर्वहन करना आसान नहीं है।
जब भी घर में मूर्ति स्थापित करें तो यह सुनिश्चित कर लें कि उनका मुख मुख्य द्वार की ओर हो।
शयन कक्ष यानी लिविंग रूम में भूलकर भी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित न करें।
कुछ लोग सीढ़ी के नीचे पूजा घर बना लेते हैं। ऐसा बिल्कुल न करें और न ही इस स्थान पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
मां लक्ष्मी की मूर्ति भगवान गणेश के दाहिनी ओर रखें। मां लक्ष्मी आदिशक्ति है जो कि भगवान गणेश की मां हैं। इसलिए भूलकर भी मां लक्ष्मी की मूर्ति भगवान गणेश के बाईं ओर न रखें।
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