धर्म-अध्यात्म

पितृ पक्ष में भूलकर भी न करें इन नियमों को नजरअंदाज, वरना हो जाएंगे पितर नाराज

Subhi
23 Aug 2022 2:56 AM GMT
पितृ पक्ष में भूलकर भी न करें इन नियमों को नजरअंदाज, वरना हो जाएंगे पितर नाराज
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हिंदू धर्म में श्राद्ध या पितृ पक्ष का विशेष महत्व है. इन 15 दिनों में पूर्वजों को याद कर पूजा, तर्पण, धर्म कर्म आदि किया जाता है. मान्यता है कि इन 15 दिनों में पितर धरती पर आते हैं. अश्विन माह की प्रतिपदा तिथि से अमावस्या तक यमराज पितरों को मुक्त कर देते हैं

हिंदू धर्म में श्राद्ध या पितृ पक्ष का विशेष महत्व है. इन 15 दिनों में पूर्वजों को याद कर पूजा, तर्पण, धर्म कर्म आदि किया जाता है. मान्यता है कि इन 15 दिनों में पितर धरती पर आते हैं. अश्विन माह की प्रतिपदा तिथि से अमावस्या तक यमराज पितरों को मुक्त कर देते हैं ताकि वे परिजनों के बीच जाकर अन्न, जल ग्रहण कर तृप्त हो सकें. तर्पण, पिंडदान और धर्म-कर्म आदि से पितरों का स्मरण कर उन्हें याद किया जाता है और तिथि के अनुसार ब्राह्मणों को भोजन करया जाता है.

परिजनों द्वारा की गईं इन चीजों से पितर की आत्मा तृप्त होती है और वे प्रसन्न होकर वंशजों को आशीर्वाद देते हैं. इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत 10 सितंबर 2022 शनिवार के दिन से हो रही है. और 25 सितंबर तक रहेंगे. ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितरों के निमित्त दान-पुण्य करने से हमारी कुंडली में पितृ दोष के प्रभावों को कम किया जा सकता है. इन दिनों में कुछ चीजों को करने की मनाही होती है. आइए जानें किन नियमों का पालन करना जरूरी है.

पत्तल पर भोजन कराएं

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पितृ पक्ष के दिन ब्राह्मण को पत्तल पर भोजन कराना शुभ माना गया है. इस दिन खुद भी पत्तल पर ही भोजन करना चाहिए. साथ ही, इन दिनों में लोहे के बर्तनों का प्रयोग भूलकर भी न करें.

किसी का अनादर न करें

कहा जाता है कि इन दिनों आपको द्वार पर कोई भी भिखारी या अतिथि आए तो उसे बिना पानी और भोजन के न जाने दें. ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितर किसी भी रूप में आपके द्वार पर आ सकते हैं. ऐसे में कभी भी इनका अनादर न करें. बल्कि अच्छे से भोजन और जल देकर उनका सम्मान करें.

संयम रखना है जरूरी

पितृपक्ष के दौरान पति-पत्नी, महिला-पुरुष सभी को ब्राह्मचार्य व्रत का पालन करना चाहिए. माना जाता है कि इन दिनों में पितर घर में सूक्ष्म रूप में रहते हैं. ये दिन पितरों को याद करके उनका आशीर्वाद लेने के होते हैं.


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