धर्म-अध्यात्म

इस धनतेरस खरीदना न भूलें ये धातु, मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए है बेहद जरूरी

Subhi
10 Oct 2022 2:30 AM GMT
इस धनतेरस खरीदना न भूलें ये धातु, मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए है बेहद जरूरी
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पांच दिवसीय दीपावली के पर्व के प्रारंभ धनतेरस से होता है. धनतेरस का पर्व वस्तुतः धन की देवी मां लक्ष्मी के अतिरिक्त यमराज और भगवान धनवंतरी के पूजन का भी पर्व है. अधिकांश लोग इसे खरीदारी तक ही सीमित मानते हैं और समझते हैं कि इस दिन आभूषण और बर्तन खरीदे जाते हैं. यह सही भी है लेकिन यदि इस दिन समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए आरोग्यता के भगवान धनवंतरी और यमराज का पूजन नहीं करेंगे तो फिर पर्व अधूरा ही माना जाएगा.

पांच दिवसीय दीपावली के पर्व के प्रारंभ धनतेरस से होता है. धनतेरस का पर्व वस्तुतः धन की देवी मां लक्ष्मी के अतिरिक्त यमराज और भगवान धनवंतरी के पूजन का भी पर्व है. अधिकांश लोग इसे खरीदारी तक ही सीमित मानते हैं और समझते हैं कि इस दिन आभूषण और बर्तन खरीदे जाते हैं. यह सही भी है लेकिन यदि इस दिन समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए आरोग्यता के भगवान धनवंतरी और यमराज का पूजन नहीं करेंगे तो फिर पर्व अधूरा ही माना जाएगा.

धनतेरस पर जरूर खरीदें ये धातु

धनतेरस के दिन ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री देवी मां लक्ष्मी के निमित्त चांदी के बर्तन खरीदे जाते हैं और उन्हें घर पर लाकर पंचोपचार द्वारा पूजन किया जाता है. पंचोपचार यानी श्री गणेश जी, शंकर भगवान, माता दुर्गा, विष्णु भगवान और सूर्यदेव का गंध, पुष्प,धूप, दीप एवं नैवेद्य से पूजन. माना जाता है कि धनतेरस के दिन चांदी से बने बर्तन या वस्तु खरीदने से मां लक्ष्मी वहां प्रसन्न होकर चिर काल तक स्थिर बनी रहती हैं क्योंकि चांदी में लक्ष्मी जी का वास होता है. इसीलिए चांदी की वस्तुएं खरीदने का विशिष्ट महत्व है. चांदी के अतिरिक्त स्वर्णाभूषण भी खरीदे जाते हैं.

न भूलें यमराज का पूजन करना

धनतेरस के दिन पूरे विधि विधान से यमराज का भी पूजन किया जाता है. इस दिन व्रत रखने का भी महात्म्य है. संध्या काल में घर के मुख्य द्वार पर आटे के पात्र में चार मुख का दीपक जलाना चाहिए. घर के दक्षिण भाग में दक्षिणाभिमुख होकर दीपदान करना चाहिए. धनतेरस के दिन यमराज को प्रसन्न करने के लिए यमुना नदी में स्नान भी किया जाता है.

यमुना स्नान कर दीपदान

यमुना स्नान कर दीपदान करने वालों की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है. जो लोग यमुना जी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो वह घर पर ही यमुना जी का स्मरण कर स्नान करें. यमराज और देवी यमुना दोनों सूर्यदेव की संतानें हैं. इसी कारण दोनों भाई बहनों में अगाध प्रेम है. यमुना जी की आराधना करने वालों से यमराज प्रसन्न होते हैं. चिन्ता से मुक्ति भी एक प्रकार का धन ही है. अतः अकाल मृत्यु का निवारण होना भी किसी बड़ी समृद्धि से कम नहीं है.


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