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हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के बाद आषाढ़ माह की शुरुआत हो चुकी है. इस माह को चातुर्मास के रूप में जाना जाता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के बाद आषाढ़ माह की शुरुआत हो चुकी है. इस माह को चातुर्मास के रूप में जाना जाता है. आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के रूप में जाना जाता है. इसका संबंध भगवान विष्णु ( Lord Vishnu Worship tips ) से माना जाता है. मान्यता है कि भगवान विष्णु चार महीने के लिए निद्रा की मुद्रा में चले जाते हैं और देवउठनी एकादशी ( Dev Uthani Ekadashi ) पर उनकी निद्रा खुलती है. देव शयन से देव के उठने या जागने के समय को चातुर्मास ( Chaturmas ke niyam ) के नाम से जाना जाता है. चार महीने की इस अवधि को भले ही शुभ कार्यों के लिए अच्छा न माना जाए, लेकिन ध्यान और साधना की दृष्टि से ये काफी महत्वपूर्ण अंतराल होता है.
शास्त्रों के मुताबिक चातुर्मास के दौरान ध्यान लगाने एवं साधना में लीन होने से देवों को प्रसन्न किया जा सकता है. साथ ही इससे शारीरिक और मानसिक स्थिति भी बेहतर होती है. चातुर्मास में आप क्या करते हैं और क्या नहीं इसका भी विशेष महत्व होता है. इस दौरान मांगलिक कार्य ही नहीं, इन कार्यों को भी करने से घर में कलह और दरिद्रता आ सकती हैं. जानें इनके बारे में…
चातुर्मास में भूल से भी न करें ये कार्य
1. शास्त्रों के मुताबिक देवों के सो जाने पर शुभ कार्यों को करने से परहेज करना चाहिए. चातुर्मास के दौरान शादी, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश आदि तमाम मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है.
2. इस दौरान किसी की निंदा, चुगली करना या फिर धोखे से चीजों को हथियाना नहीं चाहिए. वैसे ये कार्य चार्तुमास में ही क्या, कभी भी नहीं करने चाहिए.
3. मान्यता है कि अगर आप चातुर्मास के दौरान शरीर पर तेल लगाते हैं, तो ऐसे में आपको धन की कमी का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही इस दौरान तांबे के बर्तन में चीजों को खाने पीने से भी बचना चाहिए.
4. तुलसी से भगवान विष्णु का संबंध माना जाता है और उनका अपमान, श्री हरि को नाराज कर सकता है. तुलसी की शाम में पूजा करने से बचें और भूल से भी शाम के समय उनके पत्तों को तोड़ने की गलती न करें.
इस दौरान करें ये कार्य
1. पीपल का पेड़ लगाने, पीपल पर प्रतिदिन जल चढ़ाने, पीपल की परिक्रमा करने, उत्तम ध्वनि वाला घंटा मंदिर में चढ़ाने, ब्राह्मणों का उचित सम्मान करने वाले व्यक्ति पर भगवान श्री हरि की कृपा दृष्टि बनी रहती है.
2. इस माह में भगवान विष्णु निद्रा मुद्रा में होते हैं और उनकी उपासना के लिए आप भी जमीन पर सो सकते हैं. कहते हैं कि ये तरीका उनकी कृपा पाने में बहुत मदद कर सकता है.
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