धर्म-अध्यात्म

ज्येष्ठ माह में भूल कर भी न करे ये काम, वरना करना पड़ सकता है समस्याओं का सामना

Subhi
20 May 2022 5:49 AM GMT
ज्येष्ठ माह में भूल कर भी न करे ये काम, वरना करना पड़ सकता है समस्याओं का सामना
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हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह को तीसरा महीना माना जाता है। इस माह में जहां सूर्य का प्रकोप काफी बढ़ जाता है। वहीं इस माह में सूर्य देव और वरुण देव की पूजा करने का विशेष लाभ मिलता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह को तीसरा महीना माना जाता है। इस माह में जहां सूर्य का प्रकोप काफी बढ़ जाता है। वहीं इस माह में सूर्य देव और वरुण देव की पूजा करने का विशेष लाभ मिलता है। बता दें कि ज्येष्ठ मास 17 मई से शुरू हुआ था जोकि 14 जून तक चलेगा। शास्त्रों में ज्येष्ठ मास का काफी अधिक महत्व है। क्योंकि इन माह में सबसे बड़े दिन होते हैं। इसके साथ ही इसी माह में भगवान श्री राम की मुलाकात उनके परमभक्त हनुमान जी से हुई थी। इसी कारण इस माह में भगवान बजरंगबली की पूजा करने का विधान है।

इस माह में वातावरण गर्म होता है और शरीर में जल स्तर गिरने लगता है। ऐसे में इस माह जल का सही इस्तेमाल करना चाहिए। बेकार में जल का व्यर्थ करने से बचना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, ज्येष्ठ माह में भगवान हनुमान, वरुण देव के साथ-साथ शनिदेव और हनुमान जी की पूजा करने का विधान है। इसके अलावा जानिए ज्येष्ठ मास में कुछ ऐसे काम है जिन्हें करने की मनाही होती है। शास्त्रों के मुताबिक, ज्येष्ठ मास में ये काम करने से शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

ज्येष्ठ माह में ये काम करना है वर्जित

ज्येष्ठ माह में दोपहर की समय सोने की मनाही है। माना जाता है कि जो लोग दोपहर के समय इस माह में सोते हैं उन्हें कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

इस माह में लहसुन, राई के अलावा गर्म चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए। क्योंकि इस माह में सबसे अधिक गर्मी होती है। ऐसे में गर्म चीजों का सेवन करने से शरीर में अधिक गर्मी बढ़ जाती है। जिसके कारण कई शारिरिक समस्य़ाओं का सामना करना पड़ता है।

मान्यता है कि इस माह में बैंगन का सेवन करने से बचना चाहिए। क्योंकि इसका सेवन करने से संतान के लिए शुभ नहीं माना जाता है।

मान्यता है कि ज्येष्ठ माह में अपने बड़े पुत्र या फिर पुत्री का विवाह नहीं करना चाहिए। यह शुभ नहीं माना जाता है।

महाभारत के अनुसार, ज्येष्ठ मास में एक से अधिक बार भोजन नहीं करना चाहिए। इससे व्यक्ति धनवान बनता है। -ज्येष्ठामूलं तु यो मासमेकभक्तेन संक्षिपेत्। ऐश्वर्यमतुलं श्रेष्ठं पुमान्स्त्री वा प्रपद्यते।।


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