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धर्म-अध्यात्म
होलिका में गलती से भी न जलाएं इन पेड़ों की लकड़ियां
Tara Tandi
13 March 2024 10:53 AM GMT
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होली का त्योहार जल्द ही आने वाला है। इस साल 24 मार्च को होलिका दहन है और 25 मार्च को रंगों वाली होली खेली जाएगी। होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन की कहानी भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद और दानव होलिका से जुड़ी हुई है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। होलिका दहन से कुछ दिन पहले एक जगह पर लकड़ियां इकट्ठा की जाती हैं, जिसके बाद होली के एक दिन पहले विधि-विधान से पूजा पाठ करने के बाद होलिका दहन किया जाता है। हालांकि होलिका दहन के लिए लकड़ियों का चुनाव बेहद सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि कुछ पेड़ ऐसे होते हैं जिनका इस्तेमाल होलिका दहन में नहीं किया जाता है। इन पेड़ों की लकड़ियों का होलिका में इस्तेमाल करना शुभ नहीं होता है। ऐसे में चलिए जानते हैं किन पेड़ों की लकड़ियों का होलिका दहन में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए
होलिका दहन में न करें इन पेड़ों का इस्तेमाल
होलिका दहन में पीपल, शमी, आम, आंवला, नीम, केली, अशोक और बेल के पेड़ की लकड़ियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इन पेड़ों को हिंदू धर्म पूजनीय माना जाता है, इसलिए होलिका दहन में इन पेड़ों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। साथ ही हरे-भरे पेड़ों का भी होलिका दहन में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
इन पेड़ों की लकड़ियों का कर सकते हैं इस्तेमाल
होलिका दहन में किसी सूखे हुए पेड़ की टहनियों इस्तेमाल करना सही होता है। इसके अलावा एरंड और गूलर के पेड़ की लकड़ियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। गूलर के पेड़ को भी सनातन धर्म शुभ माना गया है, लेकिन इस मौसम में गूलर के पेड़ की पत्तियां झड़ने लगती हैं। ऐसे में यदि इन वृक्षों की टहनियों को न जलाया जाए तो उसमें कीड़े लगने लगते हैं।
उपले और कंडे का इस्तेमाल
होलिका दहन में गाय के गोबर के कंडों का इस्तेमाल जरूर करें, क्योंकि गाय का गोबर पूजा-पाठ में विशेष तौर पर काम में लाया जाता है। साथ ही होलिका में कंडों का इस्तेमाल करने से वातावरण भी शुद्ध रहता है।
खर पतवार का भी कर सकते हैं इस्तेमाल
लकड़ियों और उपलों के अलावा आप खर पतवार को भी होलिका दहन में जला सकते हैं। इसके कई फायदे हैं। पहला अनावश्यक हरे पेड़ों को नहीं काटना पड़ेगा और दूसरा खर पतवार को होलिका में जला देने से आसपास की सफाई भी हो जाएगी।
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Tara Tandi
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