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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Mahashivratri 2023 : महाशिवरात्रि भारत के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है. ये त्योहार बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस महाशिवरात्रि के पवित्र शुभ रात को शिव की कृपा का उत्सव मनाया जाता है. शिव को प्रथम गुरु कहा जाता है. महाशिवरात्रि की रात को ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है कि ये व्यक्ति के शरीर में एक प्रकार का ऊर्जा लेकर आती है. इस रात को अपने रीढ़ को सीधा रखकर सजग रहना हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक के लिए बेहद लाभदायक साबित होता है. महाशिवरात्रि खासकर उन लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, जो अध्यात्म के राह पर चलते हैं. गृहस्थ जीवन जीने वालों के लिए भी ये उतना ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाते हैं. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में महाशिवरात्रि की तैयारी के लिए कैसी साधना करनी चाहिए, साथ ही साधना क्यों करनी चाहिए और साधना के समय किन मंत्रों का जाप करना चाहिए.
महाशिवरात्रि के लिए करें साधना
महाशिवरात्रि के दिन ये साधना 8 साल से ज्यादा उम्र का कोई भी व्यक्ति कर सकता है, ये बेहद आसान होता है. इसमें आपको ध्यान केंद्रित करके 'ऊं नम: शिवाय' का जाप करना है. जो बेहद लाभदायी साबित होता है.
महाशिवरात्रि के दिन ये साधना क्यों जरूरी मानी जाती है, ये होते हैं लाभ
-अकसर आपने देखा होगा, कि लोग छोटी-छोटी बातों को लेकर परेशान होने लग जाते हैं, जिसके कारण वह लो फिल करने लगते हैं, तो ऐसे में आपको पूरी रात साधना से अपने अंदर हाई एनर्जी का अनुभव कर सकते हैं, रोजाना की तुलना में आप ज्यादा चुस्त-फुर्त और पॉजिटिव भी फील कर सकते हैं.
-ध्यान एकाग्र करके आप अनुशासन का विकास कर सकते हैं. जिससे आप किसी चीज पर भी विजय प्राप्त कर सकते हैं.
-भगवान शिव के प्रति आपकी भावनात्मक और मानसिक संतुलनता बढ़ेगी. इससे आपके सभी कार्य भी सिद्ध हो जाएंगे.
-अपने अंदर की खोज के लिए अपने दिमाग को ध्यानात्मक रखकर भगवान शिव की उपासना करें. इससे आपको जीवन में कभी किसी से सलाह लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
इन मंत्रों से अपने ध्यान को करें भगवान शिव के प्रति केंद्रित
शिव ध्यान मंत्र
1.करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा .
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधं .
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व .
जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ॥
2.ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥