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सनातन धर्म में चातुर्मास का बड़ा महत्व है. इस समय को धर्म-कर्म के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सनातन धर्म में चातुर्मास का बड़ा महत्व है. इस समय को धर्म-कर्म के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है, इसीलिए इन 4 महीनों के दौरान साधु-संत यात्रा नहीं करते हैं और एक ही जगह पर रहकर भगवान की आराधना करते हैं. इसके अलावा आम लोगों के लिए इस दौरान आने वाले व्रत-त्योहारों पर पूरे मनोयोग से पूजा-अर्चना करने के लिए कहा गया है.
20 जुलाई से शुरू होगा चातुर्मास
आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी के बाद 20 जुलाई से चतुर्मास प्रारंभ हो जाएगा. कहते हैं कि देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) पाताल लोक में निद्रासन में चल जाते हैं. लिहाजा 4 महीने बाद उनके जागने तक सारे शुभ कार्य वर्जित होते हैं. भगवान विष्णु कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी का जागते हैं.
चतुर्मास में वर्जित होते हैं यह शुभ कार्य
चातुर्मास के दौरान शादी-विवाह, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. हालांकि इस दौरान धर्म, दान-पुण्य करने का बहुत महत्व है. मान्यता है कि चातुर्मास में पूजा-आराधना करने से भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं और सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. चतुर्मास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से बहुत लाभ मिलता है. इसके अलावा गरीबों को दान करने, पशु-पक्षी को भोजन देने से भी बहुत पुण्य मिलता है.
चातुर्मास में न करें यह काम
- चातुर्मास को धर्म के लिहाज से बहुत अच्छा समय माना गया है. इस दौरान नॉनवेज-शराब का सेवन न करें.
- पति-पत्नी संयम रखें.
- पत्तेदार सब्जियां न खाएं.
- कांसे के बर्तन का उपयोग न करें.
TagsChaturmas
Ritisha Jaiswal
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