धर्म-अध्यात्म

कालाष्टमी पर करें काल भैरवाष्टक पाठ, रोग, दोष और संकट होंगे दूर

Subhi
20 Jun 2022 3:09 PM GMT
कालाष्टमी पर करें काल भैरवाष्टक पाठ, रोग, दोष और संकट होंगे दूर
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आषाढ़ माह का कालाष्टमी व्रत 20 जून दिन सोमवार को है. हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत होता है. यह व्रत हर माह में एक बार आता है. कालाष्टमी व्रत के दिन आपको रुद्रावतार काल भैरव की पूजा करनी चाहिए.

आषाढ़ माह का कालाष्टमी (Masik Kalashtami) व्रत 20 जून दिन सोमवार को है. हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत होता है. यह व्रत हर माह में एक बार आता है. कालाष्टमी व्रत के दिन आपको रुद्रावतार काल भैरव की पूजा करनी चाहिए. तंत्र-मंत्र के देवता के रूप में प्रसिद्ध बाबा भैरवनाथ सभी प्रकार के रोग, ग्रह दोष और संकटों को दूर करते हैं. कालाष्टमी व्रत के दिन आप काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए काल भैरवाष्टक (Kalbhairavashtak) का पाठ कर सकते हैं.

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पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, काल भैरवाष्टक की रचना आदि शंकराचार्य ने बाबा भैरवनाथ को प्रसन्न करने के लिए किया था. उन्होंने संस्कृत में काल भैरवाष्टक की रचना की है. इसमें कुल 9 श्लोक हैं. इसके श्लोकों में भगवान काल भैरव की महिमा का वर्णन किया गया है और उनकी वंदना की गई है. आइए जानते हैं काल भैरवाष्टक के बारे में.

काल भैरवाष्टक

ॐ देवराजसेव्यमानपावनाङ्घ्रिपङ्कजं, व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।

नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं, काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥1॥

भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं, नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।

कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं, काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥2॥

शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं, श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।

भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥3॥

भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।

विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥4॥

धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्।

स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥5॥

रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरञ्जनम्।

मृत्युदर्पनाशनं कराळदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥6॥

अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसन्ततिं दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्।

अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकन्धरं काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥7॥

भूतसङ्घनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।

नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥8॥

कालभैरवाष्टकं पठन्ति ये मनोहरं ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम्।

शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं ते प्रयान्ति कालभैरवाङ्घ्रिसन्निधिं ध्रुवम्॥9॥

॥इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं कालभैरवाष्टकं संपूर्णम्॥

कालाष्टमी व्रत 2022 मुहूर्त

आषाढ़ कृष्ण अष्टमी तिथि का प्रारंभ: 20 जून, सोमवार, रात 09 बजकर 01 मिनट से

आषाढ़ कृष्ण अष्टमी तिथि का समापन: 21 जून, मंगलवार, रात 08 बजकर 30 मिनट पर

प्रीति योग: प्रात:काल से सुबह 08 बजकर 28 मिनट, फिर आयुष्मान योग

शुभ समय या अभिजित मुहूर्त: 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक


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