धर्म-अध्यात्म

सफला एकादशी के दिन जरूर करें इन मंत्रों का जाप

Subhi
24 Dec 2021 3:04 AM GMT
सफला एकादशी के दिन जरूर करें इन मंत्रों का जाप
x
हिंदी पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष 30 दिसंबर को सफला एकादशी है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी और माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना की जाती है।

हिंदी पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष 30 दिसंबर को सफला एकादशी है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी और माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि सफला एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को सहस्त्र वर्ष की तपस्या से प्राप्त होने वाले पुण्य के समतुल्य फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी दुखों का नाश होता है और जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। सनातन शास्त्र में सफला एकादशी के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। सफला एकादशी को दिन में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा उपासना करें और रात्रि में भजन कीर्तन कर जागरण करें। एकादशी के दिन रात्रि जागरण का विधान है। ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन जागरण और भगवान विष्णु का सुमरन करने से व्यक्ति को मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं, तो सफला एकादशी के दिन इन मंत्रों का जाप अवश्य करें -

इन देवी-देवताओं की मूर्ति की पूजा घर में नहीं करनी चाहिए, जानें-इसके नुकसान
इन देवी-देवताओं की मूर्ति की पूजा घर में नहीं करनी चाहिए, जानें-नुकसान
यह भी पढ़ें
1.
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
2.
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः
3.
ॐ नमो नारायणाय
4.
लक्ष्मी विनायक मंत्र -
दन्ताभये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
5.
धन-वैभव मंत्र -
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
6.
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
7.
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।
8.
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।
9.
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती॥
10.
लक्ष्मी स्त्रोत
श्रियमुनिन्द्रपद्माक्षीं विष्णुवक्षःस्थलस्थिताम्॥
वन्दे पद्ममुखीं देवीं पद्मनाभप्रियाम्यहम्॥

Next Story