धर्म-अध्यात्म

Vat Purnima: वट सावित्री पूर्णिमा पर करें आरती, मिलेगा सुख-समृद्धि

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20 Jun 2024 9:28 AM GMT
Vat Purnima: वट सावित्री पूर्णिमा पर करें आरती, मिलेगा सुख-समृद्धि
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Vat Purnima: वट पूर्णिमा का पर्व बहुत पवित्र माना जाता है। इस दिन वट वृक्ष की पूजा का विधान है। धार्मिक Religiousमान्यताओं के अनुसार, इस दिन विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस साल यह पर्व (Vat Purnima Vrat 2024) 21 जून, 2024 को मनाया जाएगा। ऐसा कहा जाता है, जो लोग इस कठिन व्रत का पालन करते हैं उन्हें सुख-समृद्धि happiness and prosperity का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
साथ ही जीवन life as well की समस्याओं का अंत होता है। इसके अलावा इस मौके पर यम देव की आरती का पाठ भी बहुत फलदायीfruitful माना गया है।
धर्मराज Dharamrajकर सिद्ध काज,
प्रभु मैं शरणागत हूँ तेरी ।
पड़ी नाव मझदार भंवर में,
पार करो, न करो देरी ॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
धर्मलोक Dharmaloka के तुम स्वामी,
श्री यमराज कहलाते हो ।
जों जों प्राणी कर्म करत हैं,
।।यम देव की आरती।।
धर्मराज कर सिद्ध काज,
प्रभु मैं शरणागत हूँ तेरी ।
पड़ी नाव मझदार भंवर में,
पार करो, न करो देरी ॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
धर्मलोक के तुम स्वामी,
श्री यमराज कहलाते हो ।
जों जों प्राणी कर्म करत हैं,
तुम सब लिखते जाते हो ॥
अंत समय में सब ही को,
तुम दूत भेज बुलाते हो ।
पाप पुण्य का सारा लेखा,
उनको बांच सुनते हो ॥
भुगताते pays हो प्राणिन को तुम,
लख चौरासी की फेरी ॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
चित्रगुप्त हैं लेखक तुम्हारे,
फुर्ती से लिखने वाले ।
अलग अगल से सब जीवों का,
लेखा जोखा लेने वाले ॥
पापी जन को पकड़ बुलाते,
नरको में ढाने वाले ।
बुरे काम करने वालो को,
खूब सजा देने वाले ॥
कोई नही बच पाता न,
याय निति ऐसी तेरी ॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
दूत भयंकर तेरे स्वामी,
बड़े बड़े दर जाते हैं ।
पापी sinner जन तो जिन्हें देखते ही,
भय से थर्राते हैं ॥
बांध गले में रस्सी वे,
पापी जन को ले जाते हैं ।
चाबुक मार लाते,
जरा रहम नहीं मन में लाते हैं ॥
नरक कुंड भुगताते उनको,
नहीं मिलती जिसमें सेरी ॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
धर्मी जन को धर्मराज,
तुम खुद ही लेने आते हो ।
सादर Regardsले जाकर उनको तुम,
स्वर्ग धाम पहुचाते हो ।
जों जन पाप कपट से डरकर,
तेरी भक्ति करते हैं ।
नर्क यातना कभी ना करते,
भवसागर तरते हैं ॥
कपिल मोहन पर कृपा करिये,
जपता हूँ तेरी माला ॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
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