धर्म-अध्यात्म

6.53 बजे से शुरू होगा दिवाली पूजन का समय

Admin2
24 Oct 2022 10:05 AM GMT
6.53 बजे से शुरू होगा दिवाली पूजन का समय
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क: सनातन परंपरा से जुड़े लोगों को कार्तिक मास की अमावस्या के दिन पड़ने वाली जिस दीपावली महापर्व का पूरे साल इंतजार बना रहता है, वो आज मनाई जाएगी. दीपों के इस महापर्व पर रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान श्री गणेश और धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा की जाती है. मान्यता है कि आज के दिन मां लक्ष्मी अपनी सवारी उल्लू पर बैठकर पृथ्वी पर भ्रमण के लिए निकलती हैं, जिनके स्वागत के लिए लोग अपने घर को मांगलिक प्रतीकों से सजाकर दीये जलाते हैं. मान्यता है कि दिवाली की रात गणेश-लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने पर व्यक्ति की सभी आर्थिक दिक्कतें दूर होती हैं और पूरे उसका घर धन-धान्य से भरा रहता है. आइए आज दिवाली पर की जाने वाली गणेश-लक्ष्मी की सबसे सरल पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और उपाय जानते हैं.

गणेश-लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त – सायंकाल 06:53 से रात्रि 08:16 बजे तक
प्रदोष काल – सायंकाल 05:43 से रात्रि 08:16 बजे तक
वृषभ काल – सायंंकाल 06:53 से रात्रि 08:48 बजे तक
महानिशीथ काल मुहूर्त – रात्रि 11:40 से 00:31 बजे तक
दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त
काशी विश्वनाथ के ट्रस्टी और कर्मकांड के जाने-माने विशेषज्ञ पंडित दीपक मालवीय के अनुसार आज 24 अक्टूबर 2022, सोमवार को ही विश्व प्रसिद्ध दीपों का महापर्व दीपावली मनाया जाएगा. देश की राजधानी दिल्ली के समयानुसार सायंकाल 05:27 बजे से प्रारंभ होकर 25 अक्टूबर 2022 को सायंकाल 04:18 बजे तक रहेगी. आज लोग अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार घर और प्रतिष्ठान में भगवान श्री गणेश, माता महालक्ष्मी, महाकाली, महासरस्वती और कुबेर भगवान का पूजन करेंगे. आज प्रदोष काल सायंकाल 05:43 से रात्रि 08:16 बजे तक और वृषभ काल सायंकाल 06:53 से रात्रि 08:48 बजे तक रहेगा.
दिवाली पर कैसे करें गणेश-लक्ष्मी की पूजा
दिवाली के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा शुरु करने से पहले अपने पूजा स्थल को साफ कर लें और अपने पास सभी पूजन सामग्री रख लें ताकि पूजा के समय आपको बार-बार उठकर कहीं जाना न पड़े. इसके बाद परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठ जाएं. गणेश-लक्ष्मी को उत्तर या पूर्व दिशा की ओर चौकी पर सफेद या पीला कपड़ा बिछाकर रखें. लक्ष्मी जी को हमेशा गणेश जी के दाहिनी ओर कमल के पुष्प पर रखें. साथ ही साथ मां सरस्वती, कुबेर देवता, मां काली के चित्र या मूर्ति को भी पूजा के लिए साथ में रखें.
दिवाली पूजा शुरु करने से पहले करें ये काम
दिवाली की पूजा शुरु करने से पहले मां लक्ष्मी के पास कलश को चावल की ढेरी बनाकर रखें और पानी वाले नारियल को लाल वस्त्र में लपेटकर कलश पर रख दें. इसके बाद अब शुद्ध घी से बना एक दीपक गणेश लक्ष्मी के चरण में ओर दूसरा दीपक तेल से बना चौकी के दांयी ओर रख दें. इसके बाद चौकी के सामने कलश की ओर एक छोटी चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर एक मुट्ठी चावल से नवग्रह का प्रतीक बना दें. इसी तरह भगवान गणेश की मूर्ति की तरु चावल से षोडशमातृका बना दें. इसके बाद इन दोनों के बीच स्वास्तिक भी बना दें. यदि आप इसे न बना पाएं तो इनका सिर्फ ध्यान ही कर लें.
दिवाली पूजा की सबसे सरल विधि
दिवाली की पूजा शुरु करने से पहले पूर्व दिशा की ओर मुंह करके ॐ केशवाय नमः। ॐ माधवाय नमः। ॐ नारायणाय नमः। मंत्र बोलते हुए आचमन करें और उसके बाद हाथ धोएंं. इसके बाद अपने परिवार और देवी-देवताओं पर जल के छींटे देते हुए नीचे दिए मंत्र को पढ़ें.
'ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा. यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचिः'
इसके बाद हाथ में फूल, जल एवं कुछ पैसा लेकर अपनी सुख-समृद्धि और सौभाग्य की कामना करते हुए पूजा का संकल्प करें. इसके बाद भगवान गणेश और लक्ष्मी समेत सभी देवी देवताओं और ग्रहों आदि की नीचे दिए गये मंत्रों को बोलते हुए पूजा करें.
जल छिड़कने का मंत्र – 'स्नानं समर्पयामि.'
मोली चढ़ाने का मंत्र – 'वस्त्रं समर्पयामि'.
रोली लगाने का मंत्र – 'गन्धं समर्पयामि.'
अक्षत चढ़ाने का मंत्र – 'अक्षतान् समर्पयामि.'
धूप दिखाने का मंत्र – 'धूपम् आघ्रापयामि.'
दीपक दिखाने का मंत्र – 'दीपं दर्शयामि.'
मिठाई का भोग लगाने का मंत्र – 'नैवेद्यं निवेदयामि.'
जल चढ़ाने का मंत्र – 'आचमनीयं समर्पयामि.'
पान चढ़ाने का मंत्र – 'ताम्बूलं समर्पयामि.'
सुपारी के साथ धन चढ़ाने का मंत्र – 'दक्षिणां समर्पयामि.'
दिवाली के दिन सबसे पहले गणपति की फिर मां लक्ष्मी समेत सभी देवी-देवताओं की पूजा विधि-विधान से करें. यदि आपके पास श्री यंत्र, कुबेर यंत्र, कनकधारा यंत्र, दक्षिणावर्त्त शंख आदि हो तो उसकी भी आज विशेष रूप से पूजा करें. दिवाली की पूजा में गणेश-लक्ष्मी के मंंत्र का जप, स्तोत्र का पाठ आदि करने के साथ सबसे अंत में उनकी आरती करें. इसके बाद पूजा में हुई भूल-चूक के लिए सभी देवी-देवताओं से क्षमा मांगे और पूरे घर में दीपक जलाएं. इसके बाद अधिक से अधिक लोगों को प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें.
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