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धर्म-अध्यात्म
दिवाली त्योहार 2022: आज दिवाली पर बिना पैसे के महालक्ष्मी की होगी विशेष कृपा
Bhumika Sahu
24 Oct 2022 10:20 AM GMT
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आज दिवाली पर बिना पैसे के महालक्ष्मी की होगी विशेष कृपा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दिवाली हिंदूओं का प्रमुख त्योहार है इस साल यह पर्व आज यानी 24 अक्टूबर को देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है इस पर्व का आरंभ धनतेरस से हो चुका है और इसका समापन भाई दूज वाले दिन होता है इस त्योहार को सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है दिवाली के दिन लक्ष्मी गणेश की विधिवत पूजा की जाती है मान्यता है कि ये दिन धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उत्तम है
आज यानी दिवाली के शुभ दिन पर पूजा पाठ के समय अगर श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् का संपूर्ण पाठ पूरी श्रद्धा के साथ किया जाए तो देवी मां जल्द प्रसन्न होकर अपनी कृपा करती है इसके लिए दिवाली की शाम को शुभ मुहूर्त में पूजन स्थल पर आसन बिछाकर बैठें और पूरे विधि विधान के साथ लक्ष्मी गणेश का पूजन करें फिर माता लक्ष्मी की प्रिय चीजों को अर्पित करें श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् का संपूर्ण पाठ करें मान्यता है कि ऐसा करने से धन की देवी जल्दी प्रसन्न होती है जिससे आर्थिक परेशानियों का निदान हो जाता है।
श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम—
1. आद्य लक्ष्मी
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि,
चन्द्र सहोदरि हेममये,
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायिनि,
मंजुल भाषिणी वेदनुते ।
पंकजवासिनी देव सुपूजित,
सद्गुण वर्षिणी शान्तियुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी,
आद्य लक्ष्मी परिपालय माम् ॥1॥
2. धान्यलक्ष्मी
अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनी,
वैदिक रूपिणि वेदमये,
क्षीर समुद्भव मंगल रूपणि,
मन्त्र निवासिनी मन्त्रयुते ।
मंगलदायिनि अम्बुजवासिनि,
देवगणाश्रित पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी,
धान्यलक्ष्मी परिपालय माम्॥2॥
3. धैर्यलक्ष्मी
जयवरवर्षिणी वैष्णवी भार्गवि,
मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये,
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद,
ज्ञान विकासिनी शास्त्रनुते ।
भवभयहारिणी पापविमोचिनी,
साधु जनाश्रित पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी,
धैर्यलक्ष्मी परिपालय माम् ॥3॥
4. गजलक्ष्मी
जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि,
सर्वफलप्रद शास्त्रमये,
रथगज तुरगपदाति समावृत,
परिजन मण्डित लोकनुते ।
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित,
ताप निवारिणी पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी,
गजरूपेणलक्ष्मी परिपालय माम् ॥4॥
5. संतानलक्ष्मी
अयि खगवाहिनि मोहिनी चक्रिणि,
राग विवर्धिनि ज्ञानमये,
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि,
सप्तस्वर भूषित गाननुते ।
सकल सुरासुर देवमुनीश्वर,
मानव वन्दित पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी,
सन्तानलक्ष्मी परिपालय माम् ॥5॥
6. विजयलक्ष्मी
जय कमलासिनि सद्गति दायिनि,
ज्ञान विकासिनी ज्ञानमये,
अनुदिनमर्चित कुन्कुम धूसर,
भूषित वसित वाद्यनुते ।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित,
शंकरदेशिक मान्यपदे,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी,
विजयलक्ष्मी परिपालय माम् ॥6॥
7. विद्यालक्ष्मी
प्रणत सुरेश्वर भारति भार्गवि,
शोकविनाशिनि रत्नमये,
मणिमय भूषित कर्णविभूषण,
शान्ति समावृत हास्यमुखे ।
नवनिधि दायिनि कलिमलहारिणि,
कामित फलप्रद हस्तयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी,
विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम् ॥7॥
8. धनलक्ष्मी
धिमिधिमि धिन्दिमि धिन्दिमि,
दिन्धिमि दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये,
घुमघुम घुंघुम घुंघुंम घुंघुंम,
शंख निनाद सुवाद्यनुते ।
वेद पुराणेतिहास सुपूजित,
वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी,
धनलक्ष्मी रूपेणा पालय माम् ॥8॥
फ़लशृति
अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विष्णु वक्ष:स्थलारूढ़े भक्त मोक्ष प्रदायिनी॥
शंख चक्रगदाहस्ते विश्वरूपिणिते जय: ।
जगन्मात्रे च मोहिन्यै मंगलम् शुभ मंगलम्॥
॥ इति श्रीअष्टलक्ष्मी स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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