धर्म-अध्यात्म

Diwali 2020: नरक चतुर्दशी पर यम के साथ 5 अन्य देवों की भी होती है पूजा

Deepa Sahu
14 Nov 2020 2:46 AM GMT
Diwali 2020: नरक चतुर्दशी पर यम के साथ 5 अन्य देवों की भी होती है पूजा
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Dipawali 2020: नरक चतुर्दशी पर यम के साथ 5 अन्य देवों की भी होती है पूजा

Dipawali 2020: नरक चतुर्दशी पर यम के साथ 5 अन्य देवों की भी होती है पूजा

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : धनतेरस के दिन से लेकर अगले पांच दिन यानि भाईदूज तक एक को बाद एक त्योहार पड़ते हैं। इसलिए इसे पंचउत्सव भी कहा जाता है। धनतेरस के अगले दिन छोटी दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन को नरक चतुर्दशी, रुप चौदस या यम चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन यम के नाम का दीपक जलाया जाता है। यह दीपक घर के कोई बुजुर्ग सदस्य घर से बाहर जलाते हैं। मान्यता है कि इस दीपक को जलाने से घर के सदस्यों को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है, लेकिन क्या आपको पता है कि इस दिन यमदेव के अलावा और भी देवी-देवाताओं की पूजा का प्रावधान है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति के ऊपर आने वाली विपत्तियां दूर हो जाती हैं। तो चलिए जानते हैं यमचतुर्दशी को किन देवो की पूजा की जाती है।

नरक चतुर्दशी के दिन यम देव की पूजा के अलावा काली देवी की पूजा करने का भी प्रावधान है। नरक चतुर्दशी के दिन सुबह तेल लगाकर सूर्योदय से पूर्व से स्नान किया जाता है। रात्रि में आधी रात के समय यह पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन काली माता का पूजन करने से जीवन के कष्टों का निवारण होता है।

नरक चतुर्दशी के दिन श्रीकृष्ण जी की पूजा करने का भी विधान है। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन कृष्ण जी ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। उसके बंधक बनाई गई 16,000 कन्याओं को मुक्त कराकर उनके सम्मान की रक्षा की थी। इसलिए इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा भी करते हैं।

त्रयोदशी तिथि के अगले दिन मासिक शिवरात्रि या शिवचतुर्दशी भी होती है, इसलिए नरक चतुर्दशी के दिन शिव जी की पूजा भी करते हैं। इस दिन पंचामृत से शिव जी और पार्वती जी की पूजा करनी चाहिए।

इस दिन हनुमान जी की पूजा भी की जाती है। मान्यता है कि इस दिन हनुमान जयंती भी होती है। इसलिए माना जाता है कि इस दिन हमुमान जी की पूजा करने से सारे संकट दूर जाते हैं।

नरकचतुर्दशी के दिन विष्णु जी के वामन अवतार की पूजा भी करने का प्रावधान माना गया है। कथाओं और मान्यताओं के अनुसार इसी दिन वामन रुप में भगवान ने राजा बलि को हर साल अपनी प्रजा से मिलने का आशीर्वाद दिया था।

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