धर्म-अध्यात्म

Diwali 2020: दिवाली से पहले 7 और 8 नवंबर को पुष्य नक्षत्र का अद्भुत संयोग, करे ये सब शुभ कार्य

Kunti Dhruw
7 Nov 2020 4:08 PM GMT
Diwali 2020: दिवाली से पहले 7 और 8 नवंबर को पुष्य नक्षत्र का अद्भुत संयोग, करे ये सब शुभ कार्य
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Diwali 2020: दिवाली से पहले 7 और 8 नवंबर को पुष्य नक्षत्र का अद्भुत संयोग, करे ये सब शुभ कार्य 

सभी कार्यों में संकल्पसिद्धि कराने वाला अजेय 'रवियोग' तथा 'रविपुष्य' योग

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : सभी कार्यों में संकल्पसिद्धि कराने वाला अजेय 'रवियोग' तथा 'रविपुष्य' योग एकसाथ क्रमशः 07 नवंबर शनिवार की सुबह 08 बजकर 03 मिनट से आरंभ होकर रविवार को सुबह 08 बजकर 43 तक रहेगा। शनिदेव का 'पुष्य नक्षत्र' शनिवार को मिलने के फलस्वरूप शनिवार को 'रवियोग' तथा रविवार को भी 'पुष्य' नक्षत्र रहने से रविवार को महान 'रविपुष्य' योग का निर्माण हो रहा है जो रविवार 08 नवंबर को सुबह 08 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।

मुहूर्त ग्रंथों के अनुसार दिन-रात्रि के मध्य 30 मुहूर्त होते हैं जिनमें कई मुहूर्त ऐसे भी रहते हैं जिसमें कोई भी आवश्यक कार्य संपन्न किया जा सकता है किंतु, वार और नक्षत्र के संयोग से भी कई ऐसे अतिशुभ योग बनते हैं जिनमें कोई भी बड़े से बड़ा कार्य आरंभ करके, नए अनुबंधों पर हस्ताक्षर करके, मंत्र अनुष्ठान, औषधीय कार्य, आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी करके तथा जमीन-जायदाद आदि का क्रय करके सभी मनोरथ सिद्ध किये जा सकते हैं।

इन योगों में रवियोग, सर्वार्थसिद्धि योग, अमृतसिद्धि योग, गुरुपुष्य योग, द्विपुष्कर-त्रिपुष्कर योग के साथ-साथ सभी कुयोगों की अशुभता समाप्त करने वाला 'रविपुष्य' योग प्रमुख है। ज्योतिष शास्त्र में सभी सत्ताईस नक्षत्रों में 'पुष्य' नक्षत्र को सर्वश्रेष्ठ माना गया है, यद्यपि अभिजीत मुहूर्त को नारायण के 'चक्रसुदर्शन' के समान शक्तिशाली बताया गया है फिर भी इस नक्षत्र के संयोग से बनने वाले शुभ योगों का प्रभाव अन्य योगों की तुलना में श्रेष्ठ माना गया है क्योंकि यह नक्षत्र सभी अरिष्टों का नाशक और सर्व दिग्गामी है।

पुराणों तथा ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार इस नक्षत्र में जन्मा जातक महान कर्म करने वाला, बलवान, कृपालु, धार्मिक, धनी, विविध कलाओं का ज्ञाता, दयालु और सत्यवादी होता है ।महिलाओं के लिए ये इस नक्षत्र को और भी प्रभावशाली माना गया है ।इनमें जन्मी कन्याएं अपने कुल-खानदान का यश चारों दिशाओं में फैलाती हैं और कई महिलाओं को तो महान तपश्विनी की संज्ञा मिली है जैसा कि कहा भी गया है कि- देवधर्म धनैर्युक्तः पुत्रयुक्तो विचक्षणः ।पुष्ये च जायते लोकः शांतात्मा शुभगः सुखी ।अर्थात- जिस कन्या की उतपत्ति पुष्य नक्षत्र में होती है वह शौभाग्य शालिनी, धर्म में रूचिरखने वाली, धन-धान्य एवं पुत्रों से युक्त सौन्दर्य शालिनी तथा पतिव्रता होती है।वैसे तो यह नक्षत्र हर सत्ताईसवें दिन आता है किन्तु हर बार रविवार ही हो ये तो संभव नही हैं ।इसलिए इस नक्षत्र के दिन गुरु एवं सूर्य की होरा में भी कार्य आरंभ करके गुरुपुष्य और रविपुष्य जैसा परिणाम प्राप्त किया जा सकता हैं |

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