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धर्म-अध्यात्म
Dhanushkodi: यहां भगवान राम ने विभीषण के कहने पर तोड़ दिया था पुल, मानते हैं भुतहा स्थान, जानें पौराणिक कथा
Deepa Sahu
4 Feb 2021 2:40 AM GMT
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हमारे देश में पौराणिक मान्यताओं वाले ऐसे कई स्थान हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: भगवान राम ने यहां तोड़ा था पुल- हमारे देश में पौराणिक मान्यताओं वाले ऐसे कई स्थान हैं जो विशेष पौराणिक महत्व होने के बाद भी आज उपेक्षा के शिकार हैं। इन्हीं में से एक है धनुषकोडी। यह स्थान हिंदुओं के पावन तीर्थ स्थल रामेश्वरम में स्थित है। यहां के बारे में पौराणिक मान्यता यह है कि यहां लंका जीतकर लौटने के बाद भगवान राम ने विभीषण के कहने पर अपने धनुष के एक सिरे से सेतु को तोड़ दिया था। इसी सेतु से होकर और वानर सेना ने भगवान राम के साथ जाकर पूरी लंका को ध्वस्त कर दिया था। आइए जानते हैं वर्तमान में कैसा है यह स्थान।
आखिर क्यों भुतहा मानते हैं लोग
करीब 50 वर्षों यह स्थान उपेक्षा का शिकार है। बताते हैं वर्ष 1964 में चक्रवाती तूफान के बाद यह स्थान पूरी तरह से जलमग्न हो गया था। उसके बाद इस स्थान पर किसी का आज तक ध्यान नहीं दिया, बल्कि लोग इसको भुतहा स्थान मानते हैं। कहा जाता है कि यही वह स्थान है जहां से समुद्र के ऊपर रामसेतु का निर्माण आरंभ किया गया था। यहीं पर भगवान राम ने हनुमान को समुद्र के ऊपर ऐसा पुल बनाने को कहा था, जिसपर से होकर वानर सेना लंका में प्रवेश कर सके। धनुषकोडी में भगवान राम से जुड़े कई मंदिर आज भी हैं।
एक वक्त था बेहतरीन पर्यटन स्थल
वर्ष में 1964 में आए खतरनाक चक्रवात से पहले तक धनुषकोडी को एक बेहतरीन पर्यटन स्थल माना जाता था। बताते हैं कि उस वक्त यहां नगर में रेलवे स्टेशन, अस्पताल और होटल वगैरह सभी सुविधाएं थीं। लेकिन चक्रवात के बाद सब कुछ खत्म हो गया। यहां के बारे में ऐसा कहा जाता है कि एक बार 200 यात्रियों से भरी ट्रेन एक बार जलमग्न हो गई थी, तब से इस स्थान को भुतहा माना जाता है। उसके बाद यहां लोगों ने आना बंद कर दिया और यहां की सरकार ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया।
यहां की मीठा पानी है आश्चर्य
धनुषकोडी के दक्षिण में हिंद महासागर गाढ़ा नीला दिखता है, तो उत्तर में बंगाल का उपसागर मैले काले रंग का दिखता है। इन दोनों सागरों में 1 किमी की भी दूरी नहीं है। दोनों सागरों का पानी नमकीन है। ऐसा होते हुए भी धनुषकोडी में 3 फुट गहरा गड्ढा खोदने पर उसमें मीठा पानी आता है। चारों तरफ से नमकीन खारे पानी से घिरा होने के बावजूद यहां पर मीठे पानी का होना अपने आप में किसी आश्चर्य से कम नहीं है।
यहां से दिखता है श्रीलंका भी
रामेश्वरम द्वीप के किनारे स्थित इस स्थान को भारत का अंतिम छोर कहा जाता है। यही वह स्थान है जहां के बारे में कहा जाता है कि यहां सबसे ऊंचाई पर खड़े होने पर श्रीलंका नजर आता है। अब वीरान हो चुकी इस जगह पर एक वक्त बहुत से लोग रहते थे। अब यह स्थान भारत और श्रीलंका के एकदम बीचोंबीच स्थित है।
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