धर्म-अध्यात्म

Devshayani ekadashi: भगवान विष्‍णु क्‍यों 4 महीने के लिए सो जाते हैं जानिए?

Kunti Dhruw
17 July 2021 12:34 PM GMT
Devshayani ekadashi: भगवान विष्‍णु क्‍यों 4 महीने के लिए सो जाते हैं जानिए?
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आषाढ़ मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है.

आषाढ़ मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है और ऐसा माना जाता है कि इस दिन से भगवान विष्‍णु समेत समस्‍त देवतागण 4 महीने के लिए सो जाते हैं। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है। इस बार देवशयनी एकादशी 20 जुलाई को पड़ रही है। देवशयनी एकादशी के दिन से सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लगा दी जाती है और फिर 4 महीने तक यानी देवप्रबोधिनी एकादशी तक कोई शुभ कार्य नहीं होता है। इन 4 महीनों में शादियां, नामकरण, जनेऊ ग्रह प्रवेश और मुंडन जैसे कारज बंद कर दिए जाते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं 4 महीने के विष्‍णुजी के सो जाने के पीछे कौन सी पौराणिक कथा है।

इसलिए सो जाते हैं भगवान विष्‍णु
वामन पुराण में बताया गया है कि एक बार राजा बलि ने अपने बल के प्रयोग से तीनों लोकों पर अपना अधिकार जमा लिया था। यह देखकर इंद्र देवता समेत अन्‍य देवता घबरा गए और श्रीहर‍ि की शरण में आए। देवताओं को परेशान देखकर भगवान विष्‍णु ने वामन अवतार धारण किया और राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंच गए। राजा बलि ने वामन देवता से कहा कि जो मांगना चाहते हैं मांग लीजिए। इस पर वामन देवता ने भिक्षा में तीन पग भूमि मांग ली। पहले और दूसरे पग में वामन देवता ने धरती और आकाश को नाप लिया। अब तीसरे पग के लिए कुछ नहीं बचा तो राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया।
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यह देखकर भगवान राजा बलि से बेहद प्रसन्‍न हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा। बलि ने उनसे वरदान में पाताल लोक में बस जाने की बात कही। बलि की बात मानकर उनको पाताल में जाना पड़ा। ऐसा करने से समस्‍त देवता और मां लक्ष्‍मी परेशान हो गए। अपने पति विष्‍णुजी को वापस लाने के लिए मां लक्ष्‍मी गरीब स्‍त्री के भेष में राजा बलि के पास गईं और उन्‍हें अपना भाई बनाकर राखी बांध दी और उपहार के रूप में विष्‍णुजी को पाताल लोक से वापस ले जाने का वरदान ले लिया।
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मां लक्ष्‍मी के साथ वापस जाते हुए श्रीहरि ने राजा बलि को वर दिया है वह प्रत्‍येक वर्ष आषाढ़ शुक्‍ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक मास की एकादशी तक पाताल में ही निवास करेंगे और इन 4 महीने की अवधि को उनकी योगनिद्रा माना जाएगा। यही वजह है कि दीपावली पर मां लक्ष्‍मी की पूजा भगवान विष्‍णु के बिना ही की जाती है।
इसलिए सावन में शिवजी देखते हैं भगवान विष्‍णु काम
एक अन्‍य पौराणिक कथा में बताया गया है कि एक बार शंखचूर नामक राक्षस से भगवान विष्‍णु का काफी लंबा युद्ध चला और अंत में असुर मारा गया। युद्ध करते-करते भगवान विष्‍णु थक गए और शिवजी को सृष्टि का काम सौंपकर योगनिद्रा में चले गए। इसलिए इन 4 महीनों में भगवान ही विष्‍णुजी का काम देखते हैं और यही वजह है सावन में शिवजी की विशेष रूप से पूजा की जाती है।


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