धर्म-अध्यात्म

देवगुरु बृहस्पति सुख और सौभाग्य दिलाते हैं, जानें कब देते हैं शुभ और अशुभ फल

Subhi
11 Nov 2021 3:47 AM GMT
देवगुरु बृहस्पति सुख और सौभाग्य दिलाते हैं, जानें कब देते हैं शुभ और अशुभ फल
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ज्योतिष के अनुसार पृथ्वी पर जन्म लेते ही व्यक्ति का संबंध नवग्रहों से जुड़ जाता है. इन नवग्रहों में धनु और मीन राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति का बहुत महत्व है.

ज्योतिष के अनुसार पृथ्वी पर जन्म लेते ही व्यक्ति का संबंध नवग्रहों से जुड़ जाता है. इन नवग्रहों में धनु और मीन राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति का बहुत महत्व है. कुंडली में बृहस्पति की शुभता व्यक्ति को न सिर्फ भौतिक क्षेत्र में उन्नति प्रदान करता है, बल्कि आध्यात्मिक क्षेत्र में भी उसे सर्वोच्च स्थान प्रदान करता है. बृहस्पति एक-एक राशि पर एक-एक वर्ष रहते हैं. वक्री होने पर इनकी गति में अंतर आ जाता है, लेकिन 12 साल बाद इनका रथ चलता हुई वहीं पर आ जाता है, जहां से ये चले होते हैं.

किसके साथ होती है मित्रता और शत्रुता
बृहस्पति पुर्नवसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्रों के स्वामी हैं. ये अपने स्थान से पांचवें, सातवें और नौवें भाव पर पूर्णदृष्टि से देखते हैं. बृहस्पति कर्क राशि में उच्च का कहलाता है क्योंकि चंद्र इसका मित्र है. सूर्य व मंगल भी बृहस्पति के मित्र है. शनि बृहस्पति से सम भाव रखता है पर मकर राशि में बृहस्पति नीच का कहलाता है. बुध भी बृहस्पति का शत्रु है.
तब बरसती है बृहस्पति की कृपा
कुंडली में यदि बृहस्पति केंद्र में हो तो 'कुलदीपकयोग' और 'केसरी योग' बनता है. वहीं यदि यह केन्द्र स्थानों में स्वगृही या उच्च का हो तो 'हंसनामक' राजयोग बनाता है. बृहस्पति के साथ चन्द्रमा हो अथवा बृहस्पति व चंद्रमा परस्पर केंद्रवर्ती होकर एक-दूसरे को देख रहे हो तो अत्यंत शुभ और शक्तिशाली 'गजकेसरी योग' बनता है. लेकिन यदि कुंडली पूर्ण मंगलीक हो और उसमें क्रूर मंगल को बृहस्पति देख ले तो मंगलदोष नष्ट हो जाता है.
तब बृहस्पति देता है अशुभ फल
गुरू यदि जन्म कुण्डली में नीच राशि में स्थित हो अथवा षष्ठम्, अष्टम् या द्वादश भावों के स्वामियों के साथ स्थित हो या पाप ग्रहों के साथ संबंध रखता हो तो प्रतिकूल फल प्रदान करता है. इनकी महादशा सोलह वर्ष की होती हैं.
बृहस्पति की शुभता पाने का उपाय
यदि जन्मकुंडली में देवगुरु बृहस्पति कमजोर होकर अशुभ फल प्रदान कर रहे हों तो इसकी शुभता को पाने के लिए व्यक्ति को गुरुवार का व्रत पूरे विधि-विधान से करना चाहिए. साथ ही साथ गुरुवार के दिन हल्दी, चने की दाल, पीले कपड़े में बांधकर किसी ब्राह्मण को दान में देना चाहिए. गुरु की शुभता पाने के लिए केसर का तिलक लगाना चाहिए. यदि आप बृहस्पति की शुभता पाने के लिए कोई रत्न धारण करना चाहते हैं तो आपको पीला पुखराज किसी ज्योतिषी से पूछकर शुभ दिन में विधि-विधान से अभिमंत्रित करके धारण करना चाहिए. यदि आप महंगा पुखराज न खरीद सकें तो आप हल्दी या केले की जड़ को पीले कपड़े में अपनी बाजु में बांधकर उसका शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं.

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