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- कर्ज संबंधी परेशानियां...
सनातन धर्म में बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की भी भक्ति आराधना की जाती है। साधक विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति हेतु व्रत उपवास भी रखते हैं। धार्मिक मान्यता है कि बुधवार के दिन श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा-उपासना करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी दुख और संताप दूर हो जाते हैं। उनकी कृपा से आय और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। इससे धन संबंधी परेशानी जीवन में कभी नहीं आती है। इसलिए भगवान गणेश को रिद्धि सिद्धि के दाता और विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। अगर आप भी आर्थिक तंगी से परेशान हैं, तो हर बुधवार के दिन विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय निम्न मंत्रों का जाप करें। इन मंत्रों के जाप से कर्ज संबंधी परेशानी जल्द दूर हो जाती है। आइए, मंत्र जाप करें-
कर्ज मुक्ति मंत्र
1.
ऊँ गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम्,
ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोपह्रये श्रियम् ।।
2.
ऊँ हिरण्यवर्णा हरिणीं सुवर्णरतस्त्रजाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो मम आ वह ।।
3.
ऊँ कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारमार्द्रां ज्वलतीं तृप्तां तर्पयंतीम् ।
पदे स्थितां पद्वर्णां तामिहोपह्रये श्रियम् ।।
4.
ऊँ चंद्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम्।
तां पदिनेमीं शरणमहं प्रपघेSलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणोमि ।।
5.
ऊँ आदित्यवर्णे तपसोधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोSथ विल्व: ।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्य ब्राह्मा अलक्ष्मी:।।
6.
ऊँ गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम्,
ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोपह्रये श्रियम् ।।
7.
ऊँ कर्दमेन प्रजा भूता मयि संभव कर्दम ।
श्रियं वासय में कुले मातरं पद्मालिनीम् ।।
8.
ऊँ आर्द्रा पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगला पद्ममालिनीम् ।
चन्द्रां हिरण्मयी लक्ष्मीं जातवेदो मम आवह ।।
9.
ऊँ तांमSआ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यांहिरण्यं प्रभूतंगावो दास्योSश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ।।
10.
ऊँ तां मSआ वह जातवेदों लक्ष्मीमनगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामवश्वं पुरुषानहम् ।।
अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनाद प्रमोदिनीम् ।
श्रियं देवीमुप ह्रये श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।
ऊँ उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोSस्मिराष्ट्रेस्मिन् कीर्त्तिमृद्धिं ददातु मे ।।
ऊँ क्षुत्पिपासमलां ज्येष्ठामलक्ष्मी नाशयाम्यहम् !
अभूतिम समृद्धिं च सर्वां निणुर्द में गृहात् ।।
ऊँ मनस: काममाकूतिं वाच: सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य मयि: श्री: श्रयतां दश: ।।
ऊँ आप: सृजंतु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।
निच देवीं मातरं श्रियं वासय में कुले ।।
ऊँ आर्दा य: करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आवह ।।
ॐ अत्रेरात्मप्रदानेन यो मुक्तो भगवान् ऋणात्,
दत्तात्रेयं तमीशानं नमामि ऋणमुक्तये।