धर्म-अध्यात्म

Ramayan Story: लक्ष्मण जी के आग्रह पर श्री राम ने बताया भगवान को प्रसन्न करने का मार्ग, जानें महत्व

Tulsi Rao
29 July 2022 7:09 AM GMT
Ramayan Story: लक्ष्मण जी के आग्रह पर श्री राम ने बताया भगवान को प्रसन्न करने का मार्ग, जानें महत्व
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। How To Pleased God: वनवास में अगस्त्य मुनि की सलाह पर दंडक वन में गोदावरी नदी के तट पर पंचवटी में पर्णकुटी बना कर प्रभु श्री राम, जानकी माता और लक्ष्मण जी के साथ रहने लगे. एक बार प्रभु श्री राम आराम से बैठे थे, तभी उनके सामने बैठे लक्ष्मण जी ने प्रश्न किया ज्ञान, वैराग्य और माया क्या है, और वह भक्ति भी बताइए जिसके कारण आप लोगों पर दया करते हैं. लक्ष्मण जी की जिज्ञासा को शांत करते हुए श्री राम ने कहा कि मैं और मेरा, तू और तेरा ही माया है जिसने समस्त जीवों को वश में कर रखा है. इंद्रियों के विषयों और जहां तक मन जाता है, वह सब माया ही है. माया के भी दो रूप हैं एक विद्या और दूसरी अविद्या. अविद्या दोषयुक्त और दुख रूप है जिसके वश में हो कर जीव संसाररूपी कुएं में पड़ा रहता है. विद्या के वश में गुण हैं जो जगत की रचना करती है. वह प्रभु से प्रेरित होती है और उसका अपना बल कुछ भी नहीं होता है.

ज्ञान वह है जो सब में समान रूप से ब्रह्म को देखता है

प्रभु श्री राम ने लक्ष्मण जी के प्रश्न का विस्तार से उत्तर देते हुए कहा कि ज्ञान वह है जहां मान अभिमान आदि एक भी दोष नहीं है और सबमें समान रूप से ब्रह्म को ही देखता है. गोस्वामी तुलसीदास जी रामचरित मानस में लिखते हैं कि गीता के 13वें अध्याय में सातवें से 11 वें श्लोक में ज्ञान की व्याख्या करते हुए कहा गया है कि जिसमें मान, दंभ, हिंसा, क्षमा रहित, आचार्य सेवा का अभाव, अपवित्रता, अस्थिरता, इंद्रियों को विषय में आसक्ति, अहंकार, जन्म मृत्यु में ही सुख की अनुभूति करना आदि 18 दोष न हों तथा तत्वज्ञान द्वारा परमात्मा के नित्य दर्शन करता हो, वही ज्ञानी कहलाता है.

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