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धर्म अध्यात्म: आज श्रावण का सातवां सोमवार है. इसी दिन नागपंचमी भी मनाई जा रही है. वहीं मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग में शिवभक्त दर्शन करने पहुंच रहे हैं. साथ ही भोले बाबा को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव का ध्यान कर रहे हैं.
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्रोत के अनुसार, बारह ज्योतिर्लिंगों में ओंकारेश्वर और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग का संयुक्त रूप से चतुर्थ स्थान है. पुण्य सलिला मां नर्मदा से घिरे ॐ आकार के पर्वत पर बना यह अतिप्राचीन मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती का शयन स्थान माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव दिनभर अखिल ब्रह्मांड में विचरण करते हैं, आवागमन करते, किंतु वह शयन ओंकार पर्वत पर ही करते हैं. यही कारण है, जो यहां भगवान ओंकारेश्वर की शयन आरती होती है. माता पार्वती और शिव के लिए चौपड़ सजाया जाता है.
पवित्र श्रावण मास की शुरुआत 4 जुलाई से हुई है और इसकी समाप्ति 31 अगस्त को होगी, जिसमें कुल 8 सोमवार व्रत रखें गए थे. इस साल सावन माह में ही अधिक मास लगा था जिसके कारण 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास था. इस तरह से 10 जुलाई, 17 जुलाई, 24 जुलाई, 31 जुलाई और 7 अगस्त को सावन सोमवार के व्रत रखे जा चुके हैं. अब केवल एक सावन सोमवार शेष हैं जो 28 अगस्त को अंतिम श्रावण सोमवार मनाया जाएगा.
कैसे करें नाग पंचमी की पूजा
नाग पंचमी के दिन लोग मंदिर में जा कर भगवान को दूध और लावा अर्पित करते हैं. साथ ही घर में भी नाग देवता की पूजा होती है. घर की सुख समृद्धि के लिए नाग देवता की पूजा की जाती है. लोग अपने घर के बाहर गोबर से शार्प की आकृति बनाते हैं, उनकी विधिवत पूजा करते हैं. देवता की पूजा सुगंधित फूलों से, चंदन से, लावे से और दूध से करते हैं. इस दिन नाग देवता की पूजा से राहु-केतु जैसे अशुभ प्रभावों को शांत किया जा सकता है.
Manish Sahu
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