धर्म-अध्यात्म

Sawan सोमवार व्रत पूजा विधि के बारे सम्पूर्ण जानकारी

Sanjna Verma
21 July 2024 6:27 PM GMT
Sawan सोमवार व्रत पूजा विधि के बारे सम्पूर्ण जानकारी
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Sawan Special: सोमवार व्रत कथा एवं व्रत माहात्म्य : सोमवार का व्रत चन्द्रदेव और भगवान भोलेनाथ की अर्चना हेतु किया जाता है। इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से मानसिक क्लेशों से छुटकारा मिलता है एवं सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यदि श्रवण के महीने में सोमवार का व्रत धारण किया जाए तो यह अधिक फलदायक सिद्ध होता है। वैसे यह व्रत चैत्र, श्रावण और कार्तिक मास में किया जाता है। इस व्रत में सोमवार के दिन उपवास रखकर भगवान शंकर, माँ पार्वती की पूजा-अर्चना करनी
चाहिए
तथा दिन में एक बार भोजन करना चाहिए। सोमवार का व्रत रखने से स्त्रियों को पति, पुत्र का सुख मिलता है।
सोमवार व्रत पूजन विधि
भगवान शंकर की पूजा का श्रेष्ठ समय प्रातः काल माना जाता है; अतः सोमवार के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त हो स्नान कर पूजन हेतु ध्यान कर भस्म धारण कर कुशा पर बैठें। पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख रखें। चौकी पर नया सफेद कपड़ा बिछाएं, उस पर तांबे पर खुदा सोमवार यंत्र और भगवान शिव की प्रतिमा तथा शिवलिंग की स्थापना करें। बिल्व पत्र, पुष्प, अक्षत, जल एवं दक्षिणा इत्यादि सामग्रियां अपने निकट रखें। शिव पूजन विधान के पश्चात व्रत कथा पढ़नी चाहिए। व्रत कचा पूर्ण करने के उपरांत भगवान शिव को भोग लगाकर तुलसी के पौधे को अर्घ्य दें एवं दिन में एक समय ही भोजन करें।
सोमवार व्रत का महत्व - इस व्रत के बारे में कहा गया है कि ग्रहणादि में जप, ध्यान, हवन, उपासना, दान आदि hospitality करने से जो फल मिलता है, वही फल सोमवार के व्रत से मिलता है। श्रावण में केदारनाथ का ब्रह्म कमल से पूजन, दर्शन, अर्चन तथा केदार क्षेत्र में निवास का विशेष महत्व है। इससे भगवान शंकर की प्रसन्नता और शिव की कृपा प्राप्ति होती है। यही लाभ सोमवार के व्रत से भी मिलता है।
प्र.- सोमवार व्रत कितने करने चाहिए
उ. - सोमवार व्रत कम से कम सोलह करना चाहिए।
प्र. - सोमवार व्रत के क्या लाभ हैं।
उ. - सोमवार व्रत से स्त्रियों को पति और संतान का सुख मिलता है।
प्र. - सोमवार व्रत में किसकी पूजा होती है।
उ. - सोमवार व्रत में भगवान शिव के साथ चंद्रमा की भी पूजा होती है।
प्र. सोमवार व्रत के नियम क्या हैं
उ. - सोमवार व्रत करने वाले व्रतियों को एक ही बार फलाहार करना चाहिए।
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