धर्म-अध्यात्म

आदिकाल से हो रही है छठ पूजा, भगवान राम से लेकर द्रौपदी ने की थी सूर्य उपासना

Subhi
30 Oct 2022 3:04 AM GMT
आदिकाल से हो रही है छठ पूजा, भगवान राम से लेकर द्रौपदी ने की थी सूर्य उपासना
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छठ पूजा की शुरुआत आज से हो चुकी है और यह पर्व 31 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. चार दिन तक चलने वाले इस पूजा में भक्त 36 घंटे का व्रत रखते हैं. इस दौरान कई कठोर नियमों का पालन भी करना होता है. इस पर्व को मनाने की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है. इसको लेकर बहुत सी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. मान्यताओं के अनुसार, त्रेतायुग में मां सीता और द्वापर युग में दौपदी ने भी ये व्रत किया था.

सतयुग

पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में प्रियवद नाम के राजा की कोई संतान नहीं थी. पुत्रेष्टि यज्ञ से उनकी पत्नी गर्भवती हुई, लेकिन जन्म के पश्चात मृत बालक पैदा हुआ. जब राजा अपने मृत पुत्र को श्मशान ले गए तो वहां, षष्ठी देवी प्रकट हुई और उन्होंने उस मृत बालक को गोद में लेकर जीवित कर दिया. उस दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि थी. इसके बाद उन्होंने राजा से कहा कि तुम मेरी पूजा करो और लोगों को भी इस बात को लेकर प्रेरित करो. राजा ने ऐसा ही किया. तब से कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को षष्ठी देवी यानी कि छठी मैया की पूजा की परंपरा चली आ रही है.

त्रेता युग

मान्यताओं के अनुसार, लंका में विजय के बाद जब भगवान श्रीराम अयोध्या आए तो मां सीता ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी को उपवास किया और छठी मैया के साथ-साथ सूर्यदेव की भी आराधना की. तब से छठ पूजा की परंपरा चली आ रही है.

द्वापर युग

कथा के अनुसार, द्वापर युग में वनवास के दौरान द्रौपदी व पांडव प्रतिदिन सूर्य पूजा करते थे. इस दौरान उन्होंने हर साल कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को छठ पूजा का व्रत भी किया. मान्यता है कि इसी व्रत की वजह से पांडवों ने कौरवों को युद्ध में हरा दिया.

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