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धर्म-अध्यात्म
Chhath Puja 2022 Date Calendar: साल 2022 में कब है छठ पूजा पर्व? जानें पूजा विधि और महत्व
Tulsi Rao
14 May 2022 10:36 AM GMT
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Chath Pujan Samgari: हिंदू धर्म में सभी पर्वों का अपना महत्व है. ऐसे ही छठ पर्व का भी अपना खास महत्व है. इसे लेकर लोगों में खासा उत्साह देखा जाता है. हर साल दिवाली के 6 दिन बाद छठ पर्व मनाया जाता है.देशभर के कई हिस्सों जैसे- बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में छठ पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इसमें उगते सूर्य और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. साथ ही, छठी मैय्या की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन छठी मैय्या की विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति के सभी दुख-दर्द और कष्ट दूर होते हैं. आइए जानते हैं छठ पर्व की तिथि, पूजन सामग्री के बारे में.
कब है छठ पूजा 2022
पंचाग के अनुसार हर साल छठ पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन मनाया जाता है. इस साल छठ पर्व 30 अक्टूबर 2022, रविवार के दिन शुरू होगा. ये चार दिवसीय पर्व लोग खूब धूमधाम से मनाते हैं.
30 अक्टूबर से शुरू होगा छठ पर्व
चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत 30 अक्टूबर से हो रही है. इस दिन नहाय-खाय की विधि के साथ छठ पर्व की शुरुआत होती है. इस दिन जातक पूरे घर की साफ-सफाई करते हैं और स्नान आदि करते हैं. इसके बाद सूर्य देव को साक्षी मानकर व्रत का संकल्प लिया जाता है. इस दिन व्रती को चने की सब्जी, चावल, साग आदि ही खाना चाहिए.
कब है खरना 2022 ?
छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है. इस दिन पूरा दिन व्रत रखा जाता है और शाम के समय मिट्टी के चूल्हे पर गुड़वाली खीर का प्रसाद आदि बनाया जाता है. इस दिन महिलाएं ये सब काम करती हैं. सूर्य देव की पूजा के बाद व्रती को इस प्रसाद को ग्रहण करना होता है और फिर से इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है.
छठ पूजा विधि
छठ का तीसरा दिन सूर्य देव की पूजा का दिन होता है. इस दिन महिलाएं शाम के समय तालाब या नदी में जाकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देती हैं. और छठ के आखिरी दिन सूर्योदय के समय सूर्य को अर्ध्य देकर व्रत का समापन किया जाता है. छठ के दिन महिलाएं सूर्योदय के पहले से ही तालाब और नदी में खड़ी हो जाती हैं. और सूर्य देव की पूजा-उपासना करती हैं. इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है.
छठ पूजा सामग्री
साड़ी या धोती
बांस की दो बड़ी टोकरी
बांस या पीतल का सूप
गिलास, लोटा और थाली
दूध और गंगा
एक नारियल
5 गन्ना
चावल
एक दर्जन मिट्टी के दीपक
धूपबत्ती, कुमकुम, बत्ती
पारंपरिक सिंदूर
चौकी
केले के पत्ते
केला, सेव, सिंघाड़ा, हल्दी, मूली और अदरक का पौधा
शकरकंदी और सुथनी
पान और सुपारी
शहद
मिठाई
गुड़, गेहूं और चावल का आटा
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