धर्म-अध्यात्म

Chhath Puja 2021 : कल से शुरु होगा सूर्य की साधना का महापर्व, जानें छठ पूजा से जुड़ी सारी बातें

Rani Sahu
7 Nov 2021 4:18 PM GMT
Chhath Puja 2021 : कल से शुरु होगा सूर्य की साधना का महापर्व, जानें छठ पूजा से जुड़ी सारी बातें
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दीपावली के पंचमहापर्व के बाद अब सूर्य की साधना का छठ महापर्व शुरु होने जा रहा है

दीपावली के पंचमहापर्व के बाद अब सूर्य की साधना का छठ महापर्व शुरु होने जा रहा है. इसी के साथ 'अन्न दिहले, धन दिहले, वंश बढ़इले ना, बबुआ होई हमके त हम छठ करबो ना' जैसा गीत पूर्वांचल में गूंजने लगा है. सनातन परंपरा का यह पर्व तीन दिनों तक मनाया जाता है, जबकि इसका पारण चौथे दिन सुबह होता है. मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्य बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली में मनाया जाने वाला यह महापर्व अब सिर्फ देश में ही नही बल्कि विदेश में रहने वाले भारतीय भी बड़े धूमधाम से मनाते हैं.

किस लिए रखा जाता है व्रत
घर-परिवार की सुख-समृद्धि और संतान के लिए किये जाने वाली छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का विधान है. इसे पुत्र प्राप्ति यज्ञ भी कहते हैं. यह व्रत में व्रतधारी एक तपस्वी की भांति लगातार 36 घंटे का व्रत रखता है और अन्न-जल तक नहीं ग्रहण करता है.
छठ महापर्व से जुड़ी प्रमुख तारीखें
इस साल छठ महापर्व 8 नवंबर, 2021 सोमवार को नहाय-खाय से शुरू होगा. इसके अगले दिन 9 नवंबर 2021 मंगलवार को खरना व्रत और 10 नवंबर 2021, बुधवार को छठ का प्रमुख व्रत और पूजन होगा. वहीं इसके अगले दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी यानि 11 नवंबर 2021, गुरुवार की सुबह उगते सूरज को जल देकर इस महापर्व का समापन होगा.
छठ महापर्व की कथा
छठ महापर्व के पीछे एक लोककथा प्रचलित है. मान्यता है कि पांडव जब अपना सारा राजपाट जुए में हारकर जंगलों में भटक रहे थे, तभी इस बड़े संकट से मुक्ति पाने के लिए द्रौपदी ने सूर्य देव की आराधना के लिए छठ व्रत किया था. जिसके शुभ फल से पांडवों को अपना खोया हुआ वैभव प्राप्त हो गया था. इस महापर्व से जुड़ी एक और मान्यता है कि जब भगवान राम लंका विजय के बाद अयोध्या वापस लौटे थे, तो अयोध्यावासियों ने दीपावली मनाई थी. चूंकि भगवान राम सूर्यवंशी थे, इसलिए रामराज्य की स्थापना के बाद कार्तिक शुक्ल षष्ठी को श्री राम भगवान और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की और सप्तमी को सूर्योदय के समय अनुष्ठान कर सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त किया. तभी से यह महापर्व लगातार चला आ रहा है.
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