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देवशयनी एकादशी 29 जून, गुरुवार से चातुर्मास शुरू हो रहा है. चातुर्मास को चौमासा के नाम से भी जाना जाता है. चातुर्मास में भगवान श्रीहरि विष्णु योग निद्रा में होते हैं और सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में सौंप देते है. ये दोनों ही रक्षक और संहारक की भूमिका में रहते हैं. चातुर्मास में मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं और लोगों को इसमें संयम की जरूरत होती है. जो लोग चातुर्मास के नियमों का पालन करते हैं, वे सुखी रहते हैं और परिवार में उन्नति होती है, साथ ही सुख-समृद्धि भी बढ़ती है.आइए जानते हैं चातुर्मास के नियमों के बारे में.
चातुर्मास के 10 नियम (Chaturmas Ke Niyam)
1. चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल एकादशी से आरंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि तक चलता है. इन चार महीनों में प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए. भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए.
2. पूरे चातुर्मास में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें. तामसिक विचारों और तामसिक चीजों से दूरी बनाए रखें.
3. चातुर्मास में एक समय भोजन करना चाहिए. समय पर जमीन या फर्श पर सोना चाहिए. व्रत, जप, तप, ध्यान, योग आदि करना चाहिए. इससे तन और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं.
4. चतुर्मास के व्रत रखकर पूजा करनी चाहिए. अपनी शक्ति का प्रयोग व्यर्थ की चीजों में न करें. क्रोध पर नियंत्रण रखें, दूसरों की बुराई से बचें. घमंड न करें. आत्मनिरीक्षण करें.
5. चातुर्मास में प्रतिदिन संध्या आरती अवश्य करें. नया जनेऊ पहनें. चातुर्मास में भगवान विष्णु के अलावा महादेव, देवी लक्ष्मी, माता पार्वती, गणेश, राधाकृष्ण, पितृ देव आदि की पूजा करनी चाहिए.
6. चातुर्मास में विवाह, सगाई, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते क्योंकि इस दौरान देवता शयन कर रहे होते हैं. ऐसे में इन कार्यों को करने से शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है.
7. चातुर्मास में पान, दही, तेल, बैंगन, साग, चीनी, मसालेदार भोजन, मांस, शराब, नमकीन भोजन आदि का सेवन न करें. मान्यताओं के अनुसार चातुर्मास में पान छोड़ने से भोग, दही छोड़ने से गोलोक, गुड़ छोड़ने से मिठास, नमक छोड़ने से पुत्र सुख की प्राप्ति होती है.
8. चातुर्मास में पत्तेदार सब्जियां, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध और कार्तिक में लहसुन-प्याज का सेवन वर्जित है. साथ ही चातुर्मास में काले या नीले रंग के कपड़े भी न पहनें.
9. चातुर्मास में लोगों को 5 प्रकार के दान करने चाहिए, जिनमें दीप दान, अन्न दान, वस्त्र दान, छाया दान और श्रम दान शामिल हैं.
10. चातुर्मास में आप भगवान विष्णु के मंत्र ऊं नमो भगवते वासुदेवाय और भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र ऊं नम: शिवाय का जाप कर सकते हैं. चातुर्मास में शिव और विष्णु की पूजा करने से आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी.
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